वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी शुक्रवार को आम बजट पेश करेंगे. बढ़ती महंगाई और अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के संकेतों के बीच पेश किए जा रहे इस बार के बजट में आयकर दरों से छेड़छाड़ की संभावना नहीं है.
वैसे इस बार के बजट की प्रतीक्षा आम आदमी से ज्यादा उद्योग जगत को है. मुद्दा है क्यों कि हाल के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान उद्योगों को दी गयी कर रियायतें अब दाव पर हैं. अटकलें है कि उद्योगों को मिल रहे आर्थिक प्रोत्साहनों को बजट में आंशिक विदाई दी जा सकती है. उद्योग जगत रियायतों को अभी कुछ और समय तक जारी रखने की मांग कर रहा है.
हालांकि प्रत्यक्ष कर दरों में किसी तरह के बदलाव की संभावना फिलहाल नहीं है क्योंकि वित्तमंत्रालय प्रत्यक्ष कर संहिता के 2011-12 से कार्यान्वयन का इंतजार करेगा. सूत्रों का कहना है कि पारंपरिक आयकर कानून की जगह लेने वाली प्रत्यक्ष कर संहिता के बजट सत्र में आने की संभावना नहीं है.
आर्थिक प्रोत्साहनों को वापस लेने की बहस आर्थिक समीक्षा तथा वित्त आयोग की रिपोर्ट के बाद फिर तेज हो गई. समीक्षा तथा आयोग. दोनों ने सरकारी खजाने पर बोझ घटाने के लिए प्रोत्साहनों को धीरे धीरे वापस लेने का समर्थन किया है. विश्लेषकों का कहना है कि प्रोत्साहनों को वापस लेना तथा उद्योग जगत तथा आम आदमी पर उसका असर, बजट पर चर्चा का बड़ा विषय रहेगा.