नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने मंगलवार को बैंकिंग सेक्टर को लेकर चिंता जताई और उसमें सुधार के लिए सरकार को सलाह दी है. उनका कहना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 50 फीसदी से नीचे लाने की जरूरत है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि बैंक को संकट से उबारने के लिए महत्वपूर्ण और आक्रमक बदलाव लाने की भी जरूरत है.
सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी कम करने की सलाह
दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में अर्थशास्त्री ने कहा कि केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) द्वारा डिफॉल्ट मामलों में जांच के डर ने बैंकिंग प्रणाली को पंगु बना दिया है और बैंकर उधार नहीं देना चाहते. उन्होंने कहा, 'सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकारी इक्विटी को 51 फीसदी से कम करने पर वे सीवीसी के दायरे से बाहर हो जाएंगे.'अर्थव्यवस्था या विवादास्पद मुद्दों पर कई सवालों से इनकार करते हुए अभिजीत बनर्जी ने कहा कि सुबह में प्रधानमंत्री के साथ अपनी मुलाकात में उन्होंने मजाक किया कि मीडिया उन्हें फंसाने की कोशिश कर रहा है और उनसे मोदी विरोधी टिप्पणी लेने का प्रयास कर रहा है.
जल्द नहीं सुधरेगी अर्थव्यवस्था की सेहत
गौरतलब है कि अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार जीतने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में भारतीय मूल के अर्थशास्त्री अभिजीत बनर्जी ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है. उन्होंने कहा कि अभी उपलब्ध आंकड़े यह भरोसा नहीं जगाते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था जल्द सुधरने वाली है.