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विरल आचार्य बोले- RBI की स्वायत्तता कमजोर करना चाहती थी सरकार, इसलिए उर्जित पटेल को जाना पड़ा

भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के बाद अब पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपनी किताब से धमाका किया है. इसमें विरल आचार्य ने मोदी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार रिजर्व बैंक की स्वायत्तता को कमजोर करना चाहती थी.

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विरल आचार्य ने मोदी सरकार पर लगाए गंभीर आरोप (फाइल फोट : Reuters)
विरल आचार्य ने मोदी सरकार पर लगाए गंभीर आरोप (फाइल फोट : Reuters)

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  • उर्जित पटेल के बाद अब विरल आचार्य की आई किताब
  • रिजर्व बैंक के पूर्व डिप्टी गवर्नर हैं विरल आचार्य
  • मोदी सरकार पर उन्होंने लगाए कई गंभीर आरोप

भारतीय रिजर्व बैंक के मोदी सरकार से रिश्तों को लेकर निरंतर नए 'खुलासे' हो रहे हैं. पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल के बाद अब पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने अपनी किताब से धमाका किया है. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक की स्वायत्तता को सरकार लगातार कमजोर करने की कोशिश कर रही थी, इसीलिए उर्जित पटेल को समय से पहले पद छोड़ना पड़ा.

मोदी सरकार पर लगाए गंभीर आरोप

​गौरतलब है कि उर्जित पटेल की तरह ही विरल आचार्य ने भी सरकार से पटरी न बैठ पाने की वजह से समय से पहले अपना पद छोड़ दिया था. अपनी पुस्तक 'क्वेस्ट फॉर रीस्टोरिंग फाइनेंशियल स्टेबिलिटी इन इंडिया' (Quest for Restoring Financial Stability in India') में विरल आचार्य ने मोदी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि सरकार रिजर्व बैंक की स्वायत्तता को कमजोर करना चाहती थी.

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उन्होंने इस पुस्तक में इस बारे में भी बताया है कि उन्होंने तय समय से पहले ही अपना पद क्यों छोड़ दिया था. यह पुस्तक उनकी टिप्पणियों, भाषणों और रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति पर किए गए रिसर्च का संग्रह है.

उनका कहना है कि जनवरी 2017 से जुलाई 2019 में उनके डिप्टी गवर्नर रहने के दौरान कई नीतियों की वजह से देश का आर्थिक वातावरण पीछे ढकेलने वाला बन गया.

क्यों गए पटेल

विरल आचार्य ने अपनी पुस्तक में लिखा है, 'केंद्र सरकार ने इस नियामक की स्वायत्तता में अतिक्रमण कर रही थी, विवेकपूर्ण कदमों को भी पीछे करवा रही थी और अतार्किक मांगें रख रही थी. इसकी वजह से उर्जित पटेल को साल 2018 में इस्तीफा देना पड़ा.

गौरतलब है कि गत 24 जुलाई को ही रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल की भी पुस्तक Overdraft -saving the Indian saver रिलीज हुई है, जिसमें उन्होंने भी सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं. उर्जित पटेल ने कहा है कि तत्कालीन वित्त मंत्री के साथ उनका मतभेद दिवालिया मामलों को लेकर सरकार के फैसलों से शुरू हुआ, जिनमें कंपनियों से काफी नरमी बरती गई थी.

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विरल आचार्य साल 2017 शुरुआत में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर बने थे और उन्होंने 2019 में अपना कार्यकाल पूरा होने से छह महीने पहले ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था.

रिजर्व बैंक पर डाला गया दबाव

इस पुस्तक की हाल में प्रस्तावना जारी की गई है. इसमें उन्होंने लिखा है, '​अतिरेक मौद्रिक और कर्ज राहत देने वाले अधोपतन ने पिछले एक दशक में भारतीय वित्तीय सेक्टर की स्थिरता को जिस तरह से नुकसान पहुंचाया है, उसको ठीक करना मुश्किल है.'

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पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल की चर्चा करते हुए वे इस बात पर जोर देते हैं कि, 'रिजर्व बैंक के शासन के ढांचे में बदलाव कर भविष्य के लिए इस तरह से संस्थागत रूप दिया जा रहा था, जिसका मतलब लक्ष्मण रेखा पार करना था और इस प्रयास को विफल करना ही चाहिए था. इसका नतीजा यह हुआ कि रिजर्व बैंक ने वित्तीय स्थिरता की वेदी पर अपने गवर्नर की बलि चढ़ा दी.'

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक पर इस बात के लिए 'काफी दबाव' डाला जा रहा था ​कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए 'नकदी और कर्ज' का मुहाना खोल दे. यही नहीं, एनपीए वाले कर्जदारों पर रिजर्व बैंक की सख्ती को भी 'रोक दिया गया.'

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(www.businesstoday.in/ के इनपुट पर आधारित)

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