डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने एच1बी वीजाधारकों के जीवनसाथियों को अमेरिका में काम करने का अधिकार देने के लिए ओबामा प्रशासन के दौरान लिए गए एक फैसले को अदालत में चुनौती देने वाले मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए ट्रंप प्रशासन ने 60 दिन का समय मांगा है.
ओबामा प्रशासन द्वारा अपने अंतिम चरण में उठाए गए इस कदम का एच-1बी वीजा का लाभ लेने वाले बड़े समुदाय ने स्वागत किया था. इस समुदाय में मुख्य तौर पर भारतीय शामिल हैं. हालांकि कई अमेरिकी समूहों ने ओबामा प्रशासन के इस फैसले को वाशिंगटन डीसी की एक संघीय अदालत में चुनौती दी थी.
एक फरवरी को न्याय मंत्रालय ने कोलंबिया सर्किट की अपीली अदालत में एक अपील दाखिल की थी, जिसका शीर्षक था- 60 दिनों तक कार्यवाही को निलंबित करने का सहमति प्रस्ताव. सरकार ने इस मामले में 60 दिन के स्थगन की मांग की है ताकि आगामी नेतृत्व के लोगों को मुद्दों पर गौर करने का पर्याप्त समय मिल जाए.
इमिग्रेशन वॉयस ने कल एक बयान में कहा कि यह खासतौर पर चिंताजनक है क्योंकि अटॉर्नी जनरल जेफ सेशन्स जब अमेरिकी सीनेटर थे, तब उन्होंने एच-4 नियम को आव्रजन नियमों में एक ऐसा बदलाव बताया था , जो अमेरिकी कर्मचारियों को नुकसान पहुंचाता है.
एनजीओ इमिग्रेशन वॉयस ने कहा कि वास्तव में इस नियम ने कई एच-4 वीजा धारकों को अमेरिका में ऐसे कारोबार शुरू करने की अनुमति भी दी है, जो अमेरिकी कर्मचारियों को रोजगार देते हैं. यदि यह नियम न लागू किया गया होता तो इन अमेरिकी कर्मचारियों के पास काम न होता.
इमिग्रेशन वॉयस ने सेव जॉब्स वाद में हस्तक्षेप करने की घोषणा करते हुए दलील दी कि उसके सदस्यों और उनके परिवारों के अधिकारों की रक्षा का यही एकमात्र विकल्प है. इन परिवारों में वे बच्चे भी शामिल हैं, जो अमेरिका के नागरिक हैं.