अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के बयान पर ट्वीट करते हुए कहा है कि वह दुनियाभर में तबाही मचाने के लिए उससे अधिक बड़ा और ताकतवर न्यूक्लियर बटन लेकर बैठे हुए हैं. ट्रंप के इस बयान की जहां दुनियाभर में निंदा हो रही है तो वहीं संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने ट्रंप का पक्ष रखते हुए कहा कि ट्रंप के ऐसे बयान से उत्तर कोरिया को न्यूक्लियर युद्ध में निहित खतरे का अंदाजा लगेगा और किम की हेकड़ी पर लगाम लगेगी.
दुनिया के 9 देश न्यूक्लियर हथियारों से लैस हैं. इन सभी देशों के राष्ट्राअध्यक्षों की कमान में एक न्यूक्लियर वेपन कमान्ड व्यवस्था काम कर रही है. यह कमांड व्यवस्था दुनिया में न्यूक्लियर हमले की स्थिति में अपने-अपने बचाव अथवा दुश्मन को कमजोर करने के लिए खुद न्यूक्लियर हमला करने का फैसला लेने में सक्षम है. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यह कमांड व्यवस्था अमेरिका और यूएसएसआर के राष्ट्रपतियों के नेतृत्व में विकसित हुआ और शीत युद्ध के दौरान दोनों देशों के बीच कई बार विवाद इस स्तर पर पहुंचा कि यहां के राष्ट्रपति खुद के पास मौजूद न्यूक्लियर बटन दबाने के बेहद नजदीक पहुंच गए.
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बहरहाल, मौजूदा समय में दुनिया के लगभग 9 देश ऐसे न्यूक्लियर बटन से लैस है और खतरा दिखाई देने पर वह न्यूक्लियर हमला करने के लिए बटन दबाने का काम कर सकते हैं. न्यूक्लियर बटन से लैस इन देशों में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी शामिल है जिनके पास न्यूक्लियर हमले की स्थिति से निपटने के लिए विस्तृत कमांड व्यवस्था मौजूद है.
यह व्यवस्था इसलिए भी जरूरी है क्योंकि न्यूक्लियर हमले की स्थिति में किसी भी देश के पास बचाव अथवा जवाबी हमले के लिए महज कुछ सेकेंड बचेंगे. लिहाजा ऐसी स्थिति में समय खराब न हो, न्यूक्लियर हमले की कमान राष्ट्र के प्रमुख के पास मौजूद रहती है. हालांकि अलग-अलग देशों में इस स्थिति में वास्तविक फैसला लेने के लिए राष्ट्राध्यक्ष की कमान में सेना के आला अधिकारियों, रक्षा विभाग के प्रमुख समेत कई लोगों को शामिल किया गया है.
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लिहाजा अमेरिका, भारत और उत्तर कोरिया के अलावा भी इन देशों के प्रमुख अपने पास तबाही का बटन लेकर बैठे हैं. ग्लोबल सिक्योरिटी के जानकारों का भी दावा है कि ऐसी स्थिति में ही दुनिया सुरक्षित है क्योंकि सभी देशों के सामने दूसरे देशों से भी तबाही का बटन दबाए जाने का विकल्प है. ग्लोबल संस्था बुलेटिन ऑफ एटॉमिक साइंटिस्ट के मुताबिक 2017 तक दुनिया के 9 देशों के पास कुल 9,220 न्यूक्लियर बम मौजूद हैं.