अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट का दौर जारी है. सोमवार को उसकी कीमतों में जबरदस्त गिरावट आई, जिसके असर से दुनियाभर के शेयर बाजारों में कोहराम मच गया. पांच वर्षों में पहली बार तेल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजारों में गिरकर 50 डॉलर के भी नीचे चली गईं. इसका असर शेयर बाजारों पर पड़ा और लोगों ने न केवल ऊर्जा कंपनियों के शेयर धड़ाधड़ बेचे बल्कि अन्य कंपनियों के भी.
ग्रीस की बढ़ती आर्थिक समस्या से बाजारों में पहले से चिंता थी, लेकिन तेल की कीमतों में गिरावट ने आग में घी डालने का काम किया. शेयरों में बिकवाली का जबरदस्त दौर आ गया. पहले सोचा जा रहा था कि तेल की कीमतों में गिरावट का अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर अच्छा असर पड़ेगा, लेकिन यह धारणा ध्वस्त हो गई और शेयरों में बिकवाली होने लगी. इसका नतीजा हुआ कि स्टैंडर्ड एंड पुअर के 500 इंडेक्स में पांच महीनों की सबसे बड़ी गिरावट देखी गई. इंडेक्स 500 अंक गिरकर 2,020.58 पर जा पहुंचा. नौ अक्टूबर के बाद यह एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है. डाओ जोन्स में 331.34 अंकों की गिरावट आई और वह 17,501.65 पर जा पहुंचा.
भारतीय बाजारों में भी गिरावट
इस ग्लोबल गिरावट का असर भारतीय शेयर बाजारों पर भी पड़ा और सेंसेक्स में 600 अंकों तक की गिरावट आ गई, जबकि एनएसई गिरकर 8200 से भी नीचे जा पहुंचा. तेल कंपनियों जैसे ओएनजीसी, रिलायंस, गेल, केर्न इंडिया के शेयर बुरी तरह गिरे. सुबह 10:23 बजे बीएसई सेंसेक्स 537.45 गिरकर 27,304.55 पर जा पहुंचा. उधर, 50 शेयरों वाले निफ्टी में 157.40 अंकों की गिरावट आई और वह 8,221 पर जा पहुंचा.