अपने ग्राहकों की ओर से आयकर अधिकारियों के सामने (ऑडिट) रिपोर्ट फाइल करते समय उसमें अचल संपत्तियों के सिलसिले में 20 हजार रुपये से अधिक के लेन-देन का भी ब्योरा देना होगा. आयकर अधिनियम के तहत 50 लाख रुपये से अधिक की सकल आय अर्जित करने वाले पेशेवरों और एक करोड़ रुपये से अधिक कारोबार करने वाली कंपनियों को अपने खाते का ऑडिट कराना होगा.
वर्ष 2018-19 से कंपनियों के लिए कारोबार की सीमा बढ़ाकर दो करोड़ रुपये कर दी गई है. ऑडिटरों को आयकर रिटर्न के साथ दाखिल टैक्स ऑडिट रिपोर्ट में लिए गए कर्ज और 20 हजार रुपये से अधिक की अदायगी का उल्लेख करना होता था. अब इस रिपोर्ट में संपत्ति से जुड़े 20 हजार रुपये से अधिक के लेन-देन का भी उल्लेख करना होगा.
इस कदम से वित्तीय लेन-देन में पारदर्शिता आएगी तथा कर चोरी रोकने में मदद मिलेगी.आयकर विभाग की अधिसूचना के अनुसार ऑडिटरों को वित्त वर्ष 2016-17 से 20 हजार रुपये से अधिक की हर रकम के सिलसिले में वित्तीय लेन-देन का विवरण देना होगा. इसमें अचल संपत्ति के संदर्भ में भुगतान की गई और ली गई राशि शामिल है.
ऑडिटर को भुगतान के तरीके भी बताने होंगे या यह भी बताना होगा कि भुगतान खाते में देय चेक या इलेक्ट्रोनिक प्रणाली के जरिए किया गया.आयकर विभाग ने आयकर अधिनियम की धारा 44एबी के तहत कर ऑडिट रिपोर्ट के फार्म 3सीडी को संशोधित किया है. इसके लिए अधिसूचना जारी की गई है. संशोधित नियम 19 जुलाई 2017 से प्रभाव में आ जाएंगे. निर्धारण वर्ष 2017-18 में यह लागू होगा.