अभी तक महंगा प्याज आम आदमी को रुला रहा था. लेकिन प्याज के बढ़ते आयात से अब किसान परेशान हो रहे हैं. किसानों को लग रहा है कि ज्यादा आयात की वजह से खेतों से आ रहे नए प्याज पर असर पड़ेगा.
दरअसल प्याज के दाम में इजाफे को देखते हुए कुछ किसान समय से पूर्व प्याज को खेतों से उखाड़कर बाजार में पहुंचा रहे हैं. किसानों का कहना है कि दिसंबर के आखिरी में और जनवरी के पहले हफ्ते बड़े पैमाने पर घरेलू प्याज मार्केट में पहुंच जाएंगे. ऐसे में विदेशों से मंगाए जा रहे प्याज की वजह से उनकी फसल को सही कीमत नहीं मिल पाएगी.
बड़े पैमाने पर प्याज का आयात
बता दें, गुरुवार को संसद में सरकार की ओर से कहा गया कि इस साल प्याज की 69.9 लाख टन पैदावार का अनुमान था. लेकिन बदली परिस्थितियों में 53.73 लाख टन उत्पादन की संभावना है. जिससे कीमतों में तेजी आई. सरकार इस 15.88 लाख टन प्याज की कमी को दूर करने के लिए विभिन्न उपाय कर रही है.मालूम हो कि पिछले कुछ हफ्तों में प्याज के दामों में अचानक उछाल देखने को मिला. देश के कई बड़े शहरों में प्याज का भाव 150 से 200 रुपये किलो तक पहुंच गया. लेकिन अब पिछले एक हफ्ते से कीमत में गिरावट आर रही है. क्योंकि बड़े पैमाने पर प्याज विदेशों से मंगाए जा रहे हैं.
टर्की से सबसे ज्यादा प्याज आने की उम्मीद
प्याज की कीमतों पर काबू पाने के लिए केंद्र सरकार मिस्र, टर्की और अफगानिस्तान से प्याज मंगा रही है. सरकार ने एक लाख टन से ज्यादा प्याज का आयात करने का फैसला किया है. देश में प्याज की उपलब्धता बढ़ाने के लिए फिर 12,660 टन प्याज आयात के नये सौदे किए गए हैं, जिसकी आवक 27 दिसंबर से शुरू हो जाएगी. गुरुवार को संसद में बताया गया कि अब तक करीब 30,000 टन प्याज आयात के सौदे किए गए हैं और एमएमटीसी को 15,000 टन अतिरिक्त प्याज आयात के लिए तीन टेंडर जारी करने के निर्देश दिए गए हैं. प्रत्येक टेंडर 5,000 टन के हैं.
एक रिपोर्ट के मुताबिक एमएमटीसी ने 6,090 टन प्याज मिस्र से और 15,000 टन तुर्की से मंगाने के सौदे किए हैं. इसके अलावा 1500 से 2000 टन प्याज अफगानिस्तान से मंगाए जा रहे हैं.
किसान अपने प्याज को लेकर चिंतित
देश के किसान और प्याज व्यापारी को इस बात को लेकर डरे हुए हैं कि विदेशों से मंगाए जा रहे प्याज भी दिसंबर आखिर से जनवरी की शुरुआत तक आते रहेंगे, और इसी दौरान खेतों से प्याज भी मंडी पहुंच जाएंगे. ऐसे में विदेशों से मंगाए जा रहे महंगे प्याज की वजह से उनके प्याज के खरीदार नहीं मिलेंगे. क्योंकि सरकार के पास स्टॉक में विदेशी प्याज होंगे. किसानों का कहना है कि विदेशों से बड़े पैमाने पर मंगाए जा रहे प्याज उनके लिए नुकसानदेह साबित होगा.
निर्यात पर लगा बैन हटाने की मांग
किसानों और व्यापारियों ने चेतावनी दी है कि अगर जनवरी के अंत के बाद भी किसी आयात पर हस्ताक्षर किए जाते हैं तो यह कदम सही नहीं होगा. क्योंकि सरकार ने प्याज के निर्यात पर फरवरी तक बैन लगा रखा है. ऐसी स्थिति में किसानों को न केवल कम कीमतों पर अपनी उपज बेचनी होगी, बल्कि उन्हें भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि उस समय प्याज की कीमतें सामान्य से कम रहेंगी. इसलिए सरकार को आयात में कटौती के साथ-साथ इंपोर्ट पर लगा बैन को हटाने पर भी विचार करना चाहिए.