वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एक ऐसा बजट पेश किया जो एक नजर में न तो क्रांतिकारी दिखता है और न ही आमूल चूल बदलाव वाला, लेकिन ऐसा बजट जिसमें जनता को खुश करने के मोह से बचा गया है, पेश करने के लिए वित्त मंत्री को बधाई.
देश में कारोबार खासकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने और इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए उन्होंने जो भी कदम उठाए हैं वे सही दिशा में हैं. उन्होंने इस बजट के जरिए एक विजन तैयार करने की कोशिश की है और लीक से हटकर घोषणाएं करने की बजाय सीधी बात की है. छोटी-मोटी सुविधाएं देने और छोटी-मोटी छूट देने या फिर हर किसी के लिए छोड़ा सा धन मुहैया कराने की वित्त मंत्रियों की परंपरा से हटकर उन्होंने सीधी बात की. भारत जैसे घोर राजनीतिक देश में इस तरह का अर्थशास्त्री बजट पेश करना एक साहसिक कदम है. उन्होंने इस बजट के माध्यम से देश में बिजनेस के लिए एक बढ़िया माहौल तैयार करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. यह मोदी सरकार के मेक इन इंडिया के विजन से मेल खाता है और उस दिशा में काम करता दिख रहा है.
इस तरह से उन्होंने देश में रोजगार को बढ़ावा देने की कोशिश की है. कॉर्पोरेट टैक्स में पांच फीसदी की छूट देकर उन्होंने उन्हें आश्वस्त किया लेकिन काले धने के खिलाफ नए कानून की घोषणा भी की. मोदी सरकार ने काले धन के प्रसार को रोकने की जो प्रतिबद्धता दिखाई है वह इस बजट में साफ झलकती है. काला धन रखने वालों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान रखकर उन्होंने सरकार के कठोर इरादे जता दिया. अब तक देश में काले धन से निबटने के लिए न तो इच्छा शक्ति थी और न ही कभी कोई कदम उठाया गया. लेकिन इस बार वित्त मंत्री ने दो टूक शब्दों में अपनी सरकार की मंशा जता दी.
पिछली सरकार ने सब्सिडी की लूट को रोकने के लिए जो प्रयास किए थे वे कम थे. इस सरकार ने जन-धन योजना के माध्यम से इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है. इस व्यवस्था से सब्सिडी सही व्यक्ति को मिल सकेगी और यह लूट रुकेगी. लेकिन यहां पर वह सब्सिडी घटाने में थोड़ा टूक गए. अगर वह चाहते तो सब्सिडी में कुछ कटौती कर सकते थे. वित्त मंत्री ने इस बजट में यह घोषणा करके कि जीएसटी यानी गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स अगले साल अप्रैल से लागू हो जाएगा, एक नई टैक्स व्यवस्था की शुरूआत के संकेत दे दिए हैं. राजस्व घाटे के बारे में उन्होंने एक उम्मीद जाहिर की है कि इसे नियंत्रित किया जा सकेगा और यह 4.1 प्रतिशत पर ही रहेगा. इस साल सरकार की टैक्स वसूली लक्ष्य से कम रही जिसे अन्य स्रोतों से पूरा कर लिया गया. अगले साल के बारे में वित्त मंत्री का स्वर आशा से भरा हुआ है. उनका मानना है कि तेज विकास दर से इसे पूरा कर लिया जा सकेगा.
इस बजट की अगर कोई आलोचना हो सकती है तो वह है कि यह कृषि के क्षेत्र में उतना ध्यान देता नहीं दिख रहा है. इस साल बेहतर फसलों के कारण देश में खाने-पीने की वस्तुओं की कीमतें गिर गई हैं लेकिन आगे क्या होगा, यह कहना मुश्किल है. बजट में कृषि क्षेत्र को उतनी वरीयता नहीं दी गई है और इस दिशा में बड़े कदमों की घोषणा भी नहीं है. शायद इसका कारण यह है कि कृषि का योगदान हमारे कुल जीडीपी में गिरता जा रहा है. लेकिन इस बारे में अभी ठोस काम नहीं हो पा रहा है. वित्त मंत्री ने हालांकि कृषि क्षेत्र के लिए कुछ घोषणाएं की हैं जैसे प्रधान मंत्री ग्राम सिंचाई योजना और कृषि ऋण में बढ़ोतरी. लेकिन इनसे कृषि को वास्तव में बढ़ावा मिल सकेगा, इस पर संशय बना रहेगा. बहरहाल यह साहसिक बजट पेश करने के लिए वित्त मंत्री को बधाई दी जा सकती है.