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पाकिस्तान में ऑटो सेक्टर की हालत खराब, 2 कंपनियों के उत्पादन पर लगी रोक

बिक्री में तेज गिरावट की वजह से पाकिस्तान में कार बनाने वाली दो प्रमुख कंपनियों ने उत्पादन पर अस्थायी रोक लगाई है. होंडा अटलस कार पाकिस्तान ने अपने कार प्लांट को बीते शुक्रवार को दस दिन के लिए बंद करने का फैसला किया.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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पाकिस्तान में ऑटो कंपनियों की हालत खराब है. बिक्री में तेज गिरावट की वजह से पाकिस्तान में कार बनाने वाली दो प्रमुख कंपनियों ने कारों के उत्पादन पर अस्थायी रोक लगाई है या इनकी संख्या में कटौती की है.

अखबार 'डॉन' की रिपोर्ट के अनुसार, होंडा अटलस कार पाकिस्तान (एचएसीपी) ने बताया है कि उसने अपने कार प्लांट को बीते शुक्रवार को दस दिन के लिए बंद करने का फैसला किया. उसे यह कदम कारों की बिक्री में बहुत तेज गिरावट की वजह से उठाना पड़ा है.

कंपनी ने कहा कि उसके पास अभी दो हजार कारें बिना बिक्री के रखी हुई हैं. ऐसे में उसने कार के उत्पादन पर अस्थायी रोक लगाई है. पाकिस्तान के ऑटोमोबाइल उद्योग के बुरे हाल की वजह बजट में लगाए गए ऊंचे करों और हाल के दिनों में पाकिस्तानी मुद्रा के अवमूल्यन को माना जा रहा है.

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इसी तरह, पाकिस्तान में टोयोटा मॉडल की कार बनाने वाली इंडस मोटर कंपनी (आईएमसी) के सूत्रों ने डॉन को बताया कि कंपनी ने मौजूदा एक महीने में आठ दिन कार का उत्पादन रोकने का फैसला किया है. हर हफ्ते में दो दिन कंपनी कार का उत्पादन नहीं करेगी.

न्यूज एजेंसी आईएएनएस के मुताबिक, पाकिस्तान सुजुकी मोटर कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि उत्पादन में कटौती की जाए या नहीं, इस पर फैसला कंपनी जल्द लेगी. यह इस महीने होने वाली बिक्री और बुकिंग ऑर्डर पर निर्भर करेगा.

एचएसीपी और आईएमसी के अधिकारियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर डॉन से कहा कि मौजूदा जुलाई के महीने के पहले दस दिनों में बिक्री में बेहद कमी के कारण कारों के उत्पादन में कमी का फैसला लेना पड़ा है.

गौरतलब है कि पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब है, ऐसे में कारों की बिक्री में इजाफा मुश्किल ही दिख रहा है. पाकिस्तान का सार्वजनिक कर्ज बढ़कर 27.8 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इस तरह पाकिस्तान अब कर्ज के लिए निर्धारित उच्चतम सीमा को भी पार कर चुका है और अर्थव्यवस्था तथा उसके लोगों का भविष्य खतरे में पड़ गया है.

पाकिस्तान में मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई दर करीब 7.5 फीसदी रही है और ब्याज दर करीब 10.75 फीसदी है. इमरान सरकार खस्तहाल अर्थव्यवस्था से जूझ रही है.  

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हाल में केंद्रीय बैंक ने आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट की भविष्यवाणी की थी और पांच वर्षों में सबसे ज्यादा महंगाई के दौर में ब्याज दरें बढ़ाने का फैसला किया था. हर 10 में से 4 पाकिस्तानी को पेट भर खाना नहीं मिल रहा.

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