पाकिस्तान सरकार अरबों डॉलर की संपदा वाले एक सोने और तांबे की खान से अपनी अर्थव्यवस्था को कुछ मदद मिलने की उम्मीद कर रही है. इस माइन्स से गोल्ड-कॉपर निकालने का अरबों का प्रोजेक्ट लेने के लिए कई विदेशी कंपनियां कतार में हैं, लेकिन पाकिस्तानी सेना खुद अपनी एक कंपनी के द्वारा यह काम अपने हाथ में लेना चाहती है. इससे यह साफ हो गया कि पाकिस्तान की सेना अब वहां के कारोबार में भी दखल दे रही है. इस खदान में करीब 590 करोड़ टन का खनिज भंडार है.
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित रेको दिक माइन दुनिया के सबसे बड़े सोने और तांबे की खानों में से एक है. आर्थिक तंगी से परेशान पाकिस्तान इस खान के माध्यम से भारी विदेशी निवेश आमंत्रित करना चाहता है. पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी नाजुक दौर से गुजर रही है और वह राहत पैकेज के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के पास कई बार हाथ फैला चुका है.
समाचार एजेंसी रायटर्स के अनुसार, पाकिस्तान सरकार इस खदान को एक महत्वपूर्ण एसेट मान रही है. इस सोने की खान में पाकिस्तान की सेना की भी गहरी दिलचस्पी है. असल में यह सामरिक लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण खान है और इस खान में खनन का अधिकार किसे मिले इसमें सेना की भी बड़ी भूमिका होगी. सेना की यह तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी ही कि इसके खनन का अधिकार किस कंपनी को मिले, सबसे अहम बात यह है कि सेना के नियंत्रण वाली इंजीनियरिंग कंपनी फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन (FWO) खुद ऐसे किसी कंसोर्टियम में शामिल होना चाहती है जिसे खनन का अधिकार मिलता है. FWO को दुर्गम और सीमावर्ती इलाकों में सड़क बनाने में महारत हासिल है, लेकिन हाल के वर्षों में उसने काफी खनन संबंधी कार्य किए हैं.
यहां दबा है करोड़ों टन सोना
रेको दिक खान बलूचिस्तान के चगाई जिले में रेको दिक कस्बे के पास ही स्थित है. इसमें पाकिस्तान का सबसे बड़ा तांबा भंडार है. एक अनुमान के अनुसार, इसमें करीब 590 करोड़ टन का खनिज भंडार है. प्रति टन खनिज भंडार में करीब 0.22 ग्राम सोना और करीब 0.41 फीसदी तांबा मिलने की उम्मीद है. यह खान ईरान और अफगानिस्तान की सीमा के पास एक सुप्त ज्वालामुखी के पास है. इसके खनन में देरी इसलिए हो रही है कि इसको लेकर पहले दो निवेशकों कनाडाई कंपनी बैरिक गोल्ड और चिली की एंटोफगास्ता में विवाद हो गया था.
गौरतलब है कि पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत आतंकवाद से प्रभावित है. पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने भी यह स्वीकार किया कि इस प्रोजेक्ट में सेना की महत्वपूर्ण भूमिका होगी. वैसे इस खान का अधिकार फिलहाल बलूचिस्तान प्रांत की सरकार के पास है.
चीन और सऊदी अरब की कंपनियों की नजर
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने कहा कि अगर रेको दिक खान को विकसित करने का अवसर मिलता है, तो FWO बाकी प्रतिस्पर्धियों से मुकाबला करेगी, हालांकि यह जरूर देखा जाएगा कि इसमें कोई वित्तीय फायदा है या नहीं. अब पाकिस्तान सरकार इस प्रोजेक्ट के लिए नए साझेदार तलाश रही है. सूत्रों का कहना है कि यह प्रोजेक्ट उसी कंपनी को मिलेगा जिसको सेना का वरदहस्त प्राप्त है. अरबों डॉलर की इस संपदा में कई चीन और सऊदी अरब की सरकारी कंपनियां भी रुचि ले रही हैं. यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा माइनिंग प्रोजेक्ट होगा और कई विदेशी कंपनियां इसमें 3.3 अरब डॉलर तक निवेश को तैयार हैं.
सऊदी अरब के प्रिंस सलमान बिन ने पिछले महीने पाकिस्तान दौरे के दौरान यह घोषणा भी की थी कि उनका देश पाकिस्तान की खनन परियोजनाओं में 2 अरब डॉलर का निवेश करेगा. चीन की सरकारी कंपनी चाइना मेटलर्जिकल ग्रुप कॉरपोरेशन (MCC) रेको दिक के पास ही सैंदक कॉपर एवं गोल्ड माइन में खनन कार्य करती है. चीन की एक और सरकारी कंपनी नॉरिन्को भी इस प्रोजेक्ट में दिलचस्पी दिखा रही है.