वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट 2017-18 से प्रावधान किया है कि देश में अब किसी तरह का भुगतान करने के लिए पैन कार्ड अनिवार्य होगा. किसी भुगतान में यदि पैन नंबर नहीं दिया जाता है तो उस भुगतान पर दोगुना टैक्स काटा जाएगा.
मौजूदा समय में 1 लाख रुपये से अधिक की किसी खरीदारी के लिए पैन कार्ड अनिवार्य था. वहीं कई क्षेत्रों में बिना पैन के ट्रांजैक्शन संभव नहीं था. कैशलेस इकोनॉमी की दिशा में बढ़ते हुए केन्द्रीय बजट ने ज्यादा से ज्यादा ट्रांजैक्शन पैन नंबर के जरिए करते हुए सरकार की टैक्स इनकम बेस को बढ़ाने का तरीका निकाला है.
पैन नंबर को सभी भुगतानों के लिए अनिवार्य करने के साथ-साथ सरकार ने प्रावधान किया है कि जिन भुगतानों में श्रोत पर टैक्स (टीडीएस) काटा जाता है, यदि वहां पैन नंबर का जिक्र नहीं किया गया तो भुगतान करने वाले से दोगुना टीडीएस वसूला जाए.
टीडीएस नियमों के मुताबिक एक निश्चित तरह का भुगतान करने वाले व्यक्ति को पैसा देने से पहले तय दर से टैक्स काटकर केन्द्र सरकार के खजाने में जमा कराना होता है. वहीं भुगतान लेने वाला व्यक्ति इस जमा टैक्स के ऐवज में सरकार से अपना टैक्स रिटर्न भरते वक्त क्लेम ले सकता है.
अब ऐसे सभी ट्रांजैक्शन जहां टीडीएस काटना अनिवार्य है, में भुगतान करने वाले को पैन नंबर का हवाला देना होगा. पैन नंबर न देने की स्थिति में उससे दोगुना दर से टीडीएस वसूला जाएगा.
वहीं इस नियम को और सख्त करते हुए बजट के जरिए केन्द्र सरकार ने अकाउंटेंट, मर्चेंट बैंकर और कॉस्ट अकाउंटेंट पर इनकम टैक्स विभाग को किसी भुगतान की गलत सूचना देने पर पेनाल्टी का प्रावधान कर दिया है.
गौरतलब है कि बजट से पहले केन्द्र सरकार ने देश में नए पैन कार्ड को जारी करना शुरू कर दिया है. बैंकिंग और टैक्स व्यवस्था में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए केन्द्र सरकार ने 1 जनवरी 2017 से नया पैन कार्ड (पर्मानेंट अकाउंट नंबर) जारी किया है. नया पैन कार्ड मॉडर्न सिक्योरिटी फीचर्स से लैस है और इसे टैंपर करना नामुमकिन है.
जानिए क्या खास है नए पैन कार्ड में
नए फीचर के तौर पर इसमें क्विक रेस्पॉन्स कोड (क्यूआर कोड) की सुविधा दी गई है. वहीं नए कार्ड में आपके पैन नंबर और सिग्नेचर को नई जगह दी गई है. इस पैन नंबर की मदद से आपके आप द्वारा पैन नंबर का सहारा लेकर किए जाने वाले सभी भुगतान आपकी टैक्स जानकारी के तहत इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास दर्ज हो जाएगा.