भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल मंगलवार को संसदीय समिति के सामने पेश हुए. इस दौरान उन्होंने पीएनबी घोटाले को लेकर पूछ गए कई कड़े सवालों के जवाब दिए.
कांग्रेस नेता वीरप्प मोइली की अध्यक्षता वाली इस समिति ने उर्जिट पेटल से कई सवाल पूछे. इसमें पूछा गया कि कैसे एक घोटाला (पीएनबी में) सालों साल तक चलता रहा और इसका किसी को पता भी नहीं चला.
सदस्यों ने पूछा कि आरबीआई के सख्त ऑडिट नॉर्म्स के बावजूद लंबे समय से चल रहे इस घोटाले का पता लगाने में आरबीआई क्यों नाकाम रहा? सांसदों ने पूछा कि 7 साल तक नीरव मोदी अवैध ट्रांजैक्शन करता रहा, फिर भी आरबीआई को इसका पता क्यों नहीं चला?
सांसदों ने आरबीआई गवर्नर से पूछा कि केंद्रीय बैंक को ये अधिकार है कि वह किसी भी बैंक और उसकी शाखा की जांच करे. इसके बावजूद नीरव मोदी मामले में जांच और ऑडिटिंग क्यों नहीं की गई?
आरबीआई के सुपरवाइजिंग नॉर्म्स देशभर में लागू हैं, तो ऐसे में नीरव मोदी घोटाले में जवाबदेही किसकी है? सांसदों ने पूछा कि लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) नीरव मोदी से नीरव मोदी को ही जा रहा था. इसके बावजूद इसका पता आरबीआई को नहीं लगा. लेटर ऑफ अंडरटेकिंग की जांच क्यों नहीं की गई?
बैड लोन क्यों बढ़ा?
संसदीय समिति ने आरबीआई गवर्नर से पूछा कि केंद्रीय बैंक ने एनपीए को बढ़ने क्यों दिया? इसे रोकने के लिए प्रयास क्यों नहीं किए गए. इसके अलावा समिति ने यह भी पूछा कि आखिरी बैंकों के एनपीए का संकट कितना बड़ा है?
इस दौरान उर्जित पटेल ने समिति को बताया कि बैड लोन की समस्या को सुलझाने के लिए बड़े स्तर पर पहल की जा रही है. इस पहल का काफी बेहतर नतीजे आए हैं.
कैश की किल्लत क्यों है?
संसदीय समिति ने पिछले दिनों पैदा हुई कैश की किल्लत को लेकर भी आरबीआई गवर्नर से सवाल पूछा. सांसदों ने कहा कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में कैश फ्लो बढ़ा है, तो फिर कैश कहां जा रहा है? एटीएम मशीनें खाली क्यों हैं? समिति ने पूछा कि क्या आप लोग कैश अपने पास जमा रख रहे हैं?
पंजाब नेशनल बैंक में हुए घोटाले के अलावा आरबीआई गवर्नर ने लोन रिस्ट्रक्चर प्रोग्राम को लेकर पूछे गए सवालों का जवाब भी दिया. इसके अलावा दिवालिया कानून के तहत मामलों के निपटारे के लिए किए गए प्रावधानों को लेकर भी सवाल किए गए.
इस संसदीय समिति में अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के सदस्य शामिल हैं. इसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी शामिल हैं. आज उर्जित पटेल के पेश होने से पहले सोमवार को इस संबंध में टीएमसी एमपी और समिति के सदस्य दिनेश त्रिवेदी ने इसकी जानकारी दी थी.
उन्होंने कहा था कि नोटबंदी के बाद काफी ज्यादा समय हो गया है, लेकिन अभी तक भारतीय रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के बाद वापस बैंकों में आई मुद्रा का ब्यौरा नहीं दिया है. उन्होंने उम्मीद जताई थी कि सरकार ये आंकड़े समिति के साथ साझा करेगी.
बता दें पंजाब नेशनल बैंक में फरवरी में महाघोटाला सामने आया था. इसमें हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने बैंक को फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के बूते 13400 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगाया था. पीएनबी घोटाला सामने आने के बाद इसी तरह के अन्य कई घोटाले सामने आए थे.