अगले साल भी दाल की कीमतों में तेजी की आशंका को देखते हुए खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने वाणिज्य मंत्रालय से एमएमटीसी और एसटीसी जैसी व्यापार कंपनियों को दलहन आयात शुरू करने और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने का निर्देश देने को कहा है.
अभी भी कीमत ऊंचाई पर
फसल वर्ष 2014-15 में कमजोर और बेमौसम बरसात की वजह से दलहन का घरेलू उत्पादन 20 लाख टन घटकर 1.72 करोड़ टन रहने के कारण अक्टूबर में खुदरा बाजार में दालों की कीमत 200 रुपये प्रति किलो से भी ऊपर निकल गई थीं. हालांकि, सरकार के हस्तक्षेप के बाद दलहन के खुदरा दाम में कमी आई है लेकिन अभी भी यह 170-180 रुपये किलो की ऊंचाई पर बनी हुई है.
आयात की तैयारी के लिए लिखा पत्र
उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने बताया कि उन्होंने वाणिज्य मंत्रालय को दलहनों का समय पर आयात करने के लिए तत्काल योजना तैयार करने के बारे में लिखा है. क्योंकि इस वर्ष भी लगातार सूखे के कारण खरीफ फसल उत्साहवर्धक नहीं रही है.
...तो फिर बढ़ जाएंगी दाल की कीमतें
पासवान ने अपने पत्र में लिखा है कि अगर प्रभावी कदम अभी नहीं उठाया गया, तो संभावना है कि दालों की मांग आपूर्ति से कहीं अधिक हो जाए, जिससे इनकी कीमतों में तेजी आ सकती है. पासवान ने वाणिज्य मंत्रालय से एमएमटीसी और एसटीसी जैसी व्यापार कंपनियों को निर्देश देने को कहा है कि वे दलहनों का आयात शुरू करें और कृषि मंत्रालय को भी अवगत कराएं कि वह मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) से पर्याप्त धन मुहैया कराए.
दालों का बफर स्टॉक बनाने का फैसला
उन्होंने कहा कि आयातित दलहन बफर स्टॉक बनाने में भी मदद करेगा. सरकार ने घरेलू बाजार में कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए उचित समय पर प्रभावी हस्तक्षेप के जरिए पीएसएफ का इस्तेमाल करते हुए दालों का बफर स्टॉक बनाने का फैसला किया है.
सीधे किसानों से तुअर दाल की खरीदारी शुरू
समय पर आयात के बारे में पासवान ने कहा कि कृषि मंत्रालय को पहले से ही उत्पादन और मांग के अनुमानों को सामने लाना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर संबंधित मंत्रालयों और प्रधानमंत्री कार्यालय के स्तर पर भी विचार-विमर्श किया जा रहा है. बफर स्टॉक निर्माण में हुई प्रगति के बारे में मंत्री ने कहा कि सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सीधे किसानों से तुअर दाल की खरीद शुरू की है.
नैफेड और एसएफएसी खरीदेंगे दाल
उन्होंने कहा कि इन दो राज्यों में करीब 1,780 क्विंटल तुअर दाल की खरीद की गई है. किसानों से तुअर दाल की खरीद 87 रुपये प्रति किलो के हिसाब से की जा रही है. एफसीआई के अलावा सरकार ने सहकारी समिति नैफेड और एसएफएसी से 2015-16 फसल वर्ष में डेढ़ लाख टन दालों की खरीद करने को कहा है.
भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक
भारत दालों का सबसे बड़ा उत्पादक है लेकिन फिर भी वह घरेलू मांग को पूरा करने के लिए 40 से 50 लाख टन दालों का आयात करता है. देश में इस साल के शुरुआती छह माह में 22.30 लाख टन दालों का आयात किया गया है.