नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्री पॉल क्रुगमैन ने कहा है कि भारत में नरेन्द्र मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले पर उन्हें बेहद आश्चर्य हुआ. क्रुगमैन का कहना है कि नोटबंदी जैसे कदम से कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम नहीं लगाया जा सकता है.
अमेरिकी अर्थशास्त्री का दावा है मोदी सरकार की आर्थिक नीति उम्मीद पर खरी नहीं रही और भारत जैसी अर्थव्यवस्था को आर्थिक नीतियों से नुकसान पहुंचा है. क्रुगमैन के मुताबिक नोटबंदी के अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था को रिजर्व बैंक की सख्त मौद्रिक नीति और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में मजबूत होती भारतीय करेंसी से नुकसान पहुंचा है.
क्रुगमैन का दावा है कि भारत में मौजूदा समय में 6 फीसदी विकास दर परेशानी का सबब है. उनकी दलील है कि भारत दुनिया में सबसे अधिक कामकाजी जनसंख्या वाला देश है लिहाजा इतनी कम विकास दर को किसी हालत में उचित नहीं ठहराया जा सकता है. क्रुगमैन के मुताबिक इन हालात में भारत की विकास दर 8 से 9 फीसदी होनी चाहिए थी.
हालांकि क्रुगमैन का कहना है कि उन्हें मोदी सरकार के नोटबंदी फैसले के बाद जितने बड़े नुकसान की उम्मीद थी उतना देखने को नहीं मिला. लेकिन इतना जरूर है कि सरकार को नोटबंदी का कदम उठाने की दी गई सलाह गलत थी.
इसे भी पढ़ें: 7% ग्रोथ के आंकड़ों में ही छुपा हुआ है GDP पर नोटबंदी का असर
मौजूदा भारतीय आर्थिक स्थिति पर क्रुगमैन ने कहा कि मोदी सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक को चाहिए कि ब्याज दरों में कटौती को अंजाम दे और सरकार की तरफ से बड़ा निवेश किया जाए जिससे आर्थिक गतिविधि को तेज किया जा सके.
वहीं 1 जुलाई को देश में लागू गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स पर क्रुगमैन ने कहा कि यह सरकार का सही कदम है. क्रुगमैन ने कहा कि हाल में अपने दिल्ली दौरे के दौरान उन्हें प्रधानमंत्री मोदी का भाषण सुनकर उनकी शख्सियत जापान के प्रधानंमंत्री शिंजो अबे जैसी लगी.