दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक देशों में एक सऊदी अरब की हठ भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है. सऊदी अरब ने कच्चे तेल की कीमतों को गिरने से रकोने से इनकार कर दिया है. इसका भारत पर बहुत अच्छा असर पड़ेगा और आने वाले दिनों में यहां पेट्रोल और डीजल के दाम गिर सकते हैं.
सऊदी अरब कच्चे तेल की कीमतों को 80 डॉलर प्रति बैरल तक जाने दे सकता है. यही नहीं, उसने तेल उत्पादक देशों की तेल उत्पादन में कटौती की मांग को भी ठुकरा दिया है. भारत के लिए फायदे की बात यह है कि इससे बजट का चालू घाटा घटेगा और देश का आयात बिल भी. अगर कच्चे तेल की कीमत गिरकर औसत 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जाए तो भारत को पहले छह महीने में 61,000 करोड़ रुपये की बचत होगी. यह देश के चालू बजट घाटे का एक तिहाई है. इससे सरकार को यह फायदा होगा कि मिट्टी तेल, एलपीजी आदि पर दी जाने वाली सब्सिडी में कमी आएगी.
यानी आने वाले दिनों में तेल कंपनियां कम दाम में पेट्रोल और डीजल बेच सकती हैं. इसके साथ ही टायर उत्पादक कंपनियों पर भी दबाव कम होगा, क्योंकि टायर का कच्चा माल कच्चे तेल पर ही आधारित है. इससे टायरों के दाम में 25 से 35 फीसदी तक कमी आएगी. पैकेजिंग मैटिरियल के दाम भी घटेंगे, क्योंकि यह भी कच्चे तेल पर आधारित हैं.