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GST के दायरे में नहीं आएगा पेट्रोल? वित्त मंत्री ने बताई इसकी वजह

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आ रही लगातार बढ़ोतरी की वजह से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं. लेकिन फिर भी जल्द राहत मिलती नहीं दिख रही है.

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वित्त मंत्री अरुण जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में आ रही लगातार बढ़ोतरी की वजह से देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें भी बढ़ती जा रही हैं. लेकिन पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से आपको जल्द राहत मिलती नहीं दिख रही है. बजट के बाद जीएसटी परिषद से राहत की उम्मीद कर रहे आम आदमी यहां भी खाली हाथ हो सकता है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को इस मामले को लेकर बताया कि राज्य पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के लिए तैयार नहीं हैं. उन्होंने कहा कि राज्यों का फिलहाल जो मन है, वह यह है कि वे पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाना चाहते.

हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि प्राकृतिक गैस, रियल इस्टेट पहले जीएसटी के दायरे में लाए जा सकते हैं. इनके बाद कहीं जाकर पेट्रोल और डीजल का नंबर लग सकता है. उन्होंने कहा कि इसके बाद हम पेट्रोल, डीजल, पीने योग्य अल्कोहल को भी इसके दायरे में लाने के लिए प्रयास करेंगे.

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सहमति न बनने की ये है वजह

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जब भी कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा होता है, तो इससे राज्यों का राजस्व भी बढ़ता है. राज्यों के राजस्व की एक बड़ी रकम पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले वैट से आती है.

इसके साथ ही कम वैट लगाने वाले राज्य की सरकारें अपने राजनीतिक लाभ को देखते हुए पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर सहम‍त नहीं होंगे. क्योंकि उनके सामने जीएसटी की वजह से कीमतें बढ़ने का खतरा होगा.

कई राज्यों में बढ़ जाएंगे दाम

जीएसटी परिषद के वरिष्ठ सूत्रों का कहना है कि अगर पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाता है, तो इससे देशभर में अलग-अलग सेल्स टैक्स की बजाय एक ही टैक्स हो जाएगा.

इससे भले ही महाराष्ट्र जैसे कुछ राज्यों में थोड़ी राहत मिलेगी, लेक‍िन कम वैट वसूलने वाले राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बहुत बड़े स्तर पर बढ़ोतरी हो जाएगी. ऐसे में कोई राजनीतिक पार्टी नहीं चाहेगी कि वह ऐसा कोई कदम उठाए.  

बता दें कि आम आदमी को उम्मीद थी कि बजट में एक्साइज ड्यूटी घटाकर सरकार आम आदमी को राहत देगी, लेक‍िन ऐसा नहीं हुआ. सरकार ने पहले एक तरफ एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला लिया तो वहीं, दूसरी तरफ सेस बढ़ाकर तेल की कीमतों को बराबर कर दिया.

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इस बजट में केंद्र सरकार ने पहले पेट्रोल और डीजल पर लगने वाला बेसिक उत्पाद शुल्क (एक्साइज ड्यूटी) को 2% कम करने का फैसला लिया. साथ ही सेस में 2 रुपये की बढ़ोतरी की है. इससे पेट्रोल और डीजल के दाम जस के तस रहेंगे.

सरकार द्वारा सेस में की गई बढ़ोतरी से पेट्रोल और डीजल के दाम जितने कम हुए उतना ही बढ़ भी गए. दरअसल, एक्साइज ड्यूटी में 2 फीसदी की कमी से पेट्रोल-डीजल 2 रुपए सस्ता हो गया.

इसके तहत पेट्रोल पर लगने वाला एक्साइज ड्यूटी 6.48 रुपये से घटाकर 4.48 रुपये और डीजल पर 8.33 रुपये से घटाकर 6.33 रुपये प्रति लीटर किया गया है.वहीं, सेस (सड़क उपकर) में दो रुपये की बढ़ोतरी की गई है और इसे 6 रुपए से बढ़ाकर 8 रुपये कर दिया गया है.

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