पेट्रोल और डीजल की कीमतों में पिछले दिनों हुई बेतहाशा बढ़ोतरी के लिए कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें जिम्मेदार थीं. फिलहाल ईंधन के बढ़ते दाम से राहत मिलनी शुरू हो गई है. इसी बीच, सरकार ने कहा है कि कच्चे तेल की कीमत बढ़ने से उसने जो कमाई की, उसका इस्तेमाल उसने विकास परियोजनाओं के लिए किया.
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ''कच्चा तेल सस्ता होने के दौरान सरकार ने जो रकम जुटाई. उस राशि को विकास परियोजनाओं पर खर्च किया गया, जो बहुत ही अहम हैं.''
गोयल ने कहा कि 2004 से 2014 के बीच पेट्रोल की कीमत में 33 रुपये की बढ़ोतरी हुई. यह प्रति वर्ष औसतन 4 रुपये बढ़ी. वहीं, 2014-18 के बीच इसमें सिर्फ 1.33 रुपये प्रति वर्ष की बढ़ोतरी हुई है.
उन्होंने बताया कि कच्चे तेल की कीमत गिरने से जो लाभ सरकार को हासिल हुआ, उसका इस्तेमाल उज्ज्वला योजना, सड़कें बनाने और घर-घर बिजली पहुंचाने समेत कई अन्य विकास कार्यों को पूरा करने के लिए किया गया. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल जोधपुर में एक कार्यक्रम के दौरान बोल रहे थे.
बता दें कि विपक्ष लगातार केंद्र सरकार को पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को लेकर घेर रहा है. उसका आरोप है कि जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें कम थीं, तब भी सरकार ने दाम नहीं घटाए.
भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें कच्चे तेल के भाव गिरने-बढ़ने पर काफी ज्यादा निर्भर रहती हैं. हालांकि कच्चा तेल ही नहीं, बल्कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार की तरफ से वसूले जाने वाला टैक्स ही पेट्रोल को 80 के पार ले जाता है.
पीयूष गोयल ने कहा कि पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों से सरकार चिंतित है और वह इससे आम आदमी को राहत देने के लिए रास्ता तलाश रही है.