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तेल कीमतों में लगी आग, मुंबई में पेट्रोल 86.56 प्रति लीटर

पेट्रोल और डीजल के दामों में जारी बढ़ोत्तरी थमने का नाम नहीं ले रही है. डीजल के बाद पेट्रोल भी रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है. दरअसल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और गिरता रुपया इसकी एक अहम वजह बन गया है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

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पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी का सिलसिला जारी है. पिछले हफ्ते से जो बढ़ोत्तरी चल रही है वह सोमवार को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है. सोमवार को पेट्रोल की कीमत 31 पैसे बढ़ी है. वहीं, डीजल की कीमत में 44 पैसे की बढ़त देखने को मिली है.

इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के मुताबिक पेट्रोल में बढ़ोत्तरी के बाद यह दिल्ली में 79.15 के स्तर पर पहुंच गया है. वहीं, मुंबई में इसके लिए आपको 86.56 रुपये प्रति लीटर चुकाने पड़ रहे हैं.

सबसे ज्यादा आग डीजल में लगी हुई है. सोमवार को यह मुंबई में 75.54 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच गया है. दिल्ली में भी यह रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. यहां एक लीटर की कीमत 71.15 रुपये प्रति लीटर हो गई है.

सोमवार को बढ़ोत्तरी के बाद दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल के लिए आपको 79.15 रुपये प्रति लीटर, कोलकाता में 82.06 रुपये, मुंबई में 86.56 और चेन्नई में इसके लिए आपको 82.24 रुपये प्रति लीटर चुकाने पड़ रहे हैं. इस बढ़ोत्तरी के बाद चारों महानगरों में पेट्रोल की कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है.

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डीजल भी रिकॉर्ड स्तर पर बना हुआ है. सोमवार को दिल्ली में यह 71.15 रुपए प्रति लीटर के स्तर पर पहुंच गया है. कोलकाता में 74 रुपये, मुंबई में यह 75.54 रुपये प्रति लीटर और चेन्नई में इसके लिए आपको 75.19 रुपये प्रति लीटर चुकाने पड़ रहे हैं. इसके साथ ही डीजल की कीमत भी एक नये रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं.

इसलिए बढ़ रही तेल की कीमतें:

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी का सिलस‍िला जारी है. कच्चे तेल की कीमतों में लगातार आ रही इस बढ़ोत्तरी की वजह से तेल की कीमतों में बढ़त जारी है.

रुपया भी बना मुसीबत:

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जारी बढ़त के लिए कच्चे तेल के बाद रुपये में जारी गिरावट भी जिम्मेदार है. शुक्रवार को रुपया एक डॉलर के मुकाबले 71 के स्तर पर पहुंच गया है.

दरअसल तेल कंपनियां डॉलर में भुगतान कर कच्चा तेल खरीदती हैं. ऐसे में रुपये के कमजोर होने से इन कंपनियों की लागत बढ़ जाती है. इसके चलते कंपनियां अपने खर्च का बोझ ग्राहकों पर डालती हैं.

इसके अलावा केंद्र और राज्य सरकारों की तरफ से लगने वाला टैक्स भी ईंधन की कीमत बढ़ाने का काम करता है.  

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