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मोदी Vs मनमोहन: चुनाव से पहले EPF धारकों पर दोनों सरकारें मेहरबान!

मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी साल में पीएफ पर ब्‍याज दर में बढ़ोतरी तो की है लेकिन इसकी तुलना मनमोहन सरकार के आखिरी साल से करें तो यह 0.10 फीसदी कम है.

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मोदी सरकार ने कम दिया है PF का पैसा
मोदी सरकार ने कम दिया है PF का पैसा

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किसी भी नौकरीपेशा शख्‍स के लिए उनके प्रॉविडेंट फंड (PF)का पैसा काफी अहम होता है. दरअसल, नौकरीपेशा लोगों के लिए पीएफ खाते में जमा होने वाली रकम भविष्‍य सुरक्षित करने का सबसे अच्‍छा जरिए होती है. इस रकम पर सरकार 8 फीसदी से ज्‍यादा का ब्‍याज देती है. वित्‍त वर्ष 2017-18 में नौकरीपेशा लोगों को पीएफ पर 8.55 फीसदी का ब्याज मिलता था, जो अब 0.10 फीसदी बढ़ा दी गई है.

इस बढ़त के बाद वित्त वर्ष 2018-19 के लिए पीएफ पर ब्‍याज दर 8.65 फीसदी हो गई है. हालांकि इसके बावजूद यह ब्‍याज दर मनमोहन सिंह के कार्यकाल के आखिरी साल की तुलना में 0.10 फीसदी  कम है.दिलचस्‍प यह भी है कि लोकसभा चुनाव से पहले दोनों सरकारों ने नौकरीपेशा लोगों को लुभाने के लिए पीएफ पर ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी की है.

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मनमोहन सिंह का कार्यकाल

अगर मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार की बात करें तो वित्‍त वर्ष 2013-14  (अप्रैल से मार्च) में पीएफ पर 8.75 फीसदी का ब्‍याज मिलता था. वहीं 2012-13 में पीएफ पर  8.50 का ब्‍याज दर था जबकि 2011-12 में यह दर घटकर 8.25 फीसदी पर आ गया. इससे पहले 2009-10 और 2010-11 में नौकरीपेशा लोगों को 8.50 फीसदी का ब्‍याज दर मिला था.

मनमोहन सरकार में 2009 से 2014 तक पीएफ पर ब्‍याज दर

2009-10 8.50%
 2010-11 8.50 %
 2011-12 8.25 %
 2012-13 8.50 %
 2013-14 8.75%

मोदी सरकार का कार्यकाल   

अगर मोदी सरकार के कार्यकाल की बात करें तो वित्‍त वर्ष 2014-15 (अप्रैल से मार्च) में पीएफ पर 8.75 फीसदी का ब्‍याज मिलता था. 2015-16 में यह बढ़कर 8.80 फीसदी हो गया. मोदी सरकार के कार्यकाल में पीएफ पर मिलने वाला यह सबसे अधिक ब्‍याज दर है. इसके बाद यह दर घटकर 2016-17 में 8.65 फीसदी पर आ गया. जबकि 2017-18 में नौकरीपेशा लोगों को पीएफ पर 8.55 फीसदी की दर से ब्याज मिला था. वहीं इस फंड पर नई दर एक बार फिर 8.65 फीसदी हो गई है.

अहम बात ये है कि तीन साल में पहली बार ईपीएफ पर ब्याज बढ़ाया गया है. हालांकि सरकार की ओर से दिए गए संकेतों के मुताबिक ईपीएफओ के आय अनुमान के अनुसार ईपीएफ पर ब्याज दर को बढ़ाकर 8.70 फीसदी किया जाता तो इससे 158 करोड़ रुपये के घाटे की स्थिति बनती.

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ये है साल दर साल का आंकड़ा

2014-15 8.75%
2015-16 8.80%
2016-17 8.65%
2017-18 8.55 %
2018-198.65%

कितने लोगों को मिलेगा फायदा

लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के फैसले का फायदा 6 करोड़ नौकरीपेशा लोगों को मिलेगा. हालांकि अब प्रस्ताव को वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाता है. वित्त मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद ब्याज को उपयोक्ताओं के खाते में डाल दिया जाता है.

न्यूनतम मासिक पेंशन पर मार्च में फैसला

वहीं न्यूनतम मासिक पेंशन को दोगुना कर 2,000 रुपये करने का फैसला मार्च में होने वाली अगली बैठक तक टाल दिया गया है. दरअसल, न्यूनतम मासिक पेंशन को दोगुना करने से 3,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त जरूरत होगी. ऐसे में इस पर निर्णय वित्त मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बाद ही लिया जा सकता है.  

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