प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि वह जीएसटी की किसी भी कमी दूर करने के लिए तैयार हैं. साथ ही इसे और कारगर बनाने के लिए इसमें बदलाव के किसी भी सुझाव पर विचार करने के लिए भी तैयार हैं. उन्होंने कहा कि यह एक प्रक्रिया है और हमारे इरादे नेक हैं. हम प्रयास कर रहे हैं.
पीएम मोदी ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का विरोध करने वालों की भर्त्सना करते हुए कहा कि ऐसे लोग संसद का "अपमान" कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि सरकार ने गत वर्ष एक जुलाई को पूरे देश में एक समान अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था लागू करने के लिए नई जीएसटी प्रणाली को लागू किया. तब से इसमें कई सुधार किए जा चुके हैं.
एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने जीएसटी में संशोधनों की तुलना आयकर कानून में बदलाव से की. उन्होंने सवाल किया कि 1961 के आयकर अधिनियम में अब तक कितने परिवर्तन किए गए हैं? उन्होंने कहा कि जीएसटी भी नई प्रणाली है. मैं पहले दिन से कहता आ रहा हूं कि लोगों को इसके साथ तालमेल बैठाने में कुछ समय लगेगा. जहां कहीं कोई कोर-कसर रह गई है उसे ठीक किया जाएगा.
पीएम मोदी ने कहा कि छह महीने लगे या दो साल लगे संगठित रूप से प्रयास होना चाहिए ताकि प्रणाली कारगर हो. प्रणाली ऐसी होनी चाहिए जो और अधिक समय तक देश के काम आए. हम इसके लिए अपने ज्ञान का उपयोग कर रहे हैं. अच्छी बात के लिए सबकों मिलकर प्रयास करना चाहिए. उन्होंने जीएसटी के बारे में आलोचना करने वालों पर तंज कसते हुए कहा कि क्या आप हर चीज को अपने राजनैतिक लोभ से देखते हैं?
सर्वसम्मति से लिए गए फैसले
उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि जो पहले सरकार में थे अब जीएसटी का विरोध कर रहे हैं. इसके बारे में बुरा-भला बोल रहे हैं. गौरतलब है कि पिछले दिनों गुजरात में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने जीएसटी को 'गब्बर सिंह-टैक्स' कहा था. उन्होंने कहा कि वास्तव में सभी राजनीतिक दलों ने एक साथ मिलकर जीएसटी परिषद का सृजन किया, जो नई कर व्यवस्था के बारे में निर्णय करने वाला सर्वोच्च निकाय है. उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद में सारे फैसले सर्वसम्मति से लिए गए हैं, इसमें कभी मतविभाजन की नौबत नहीं आई.
बैठक के अंदर सभी हंसते हैं- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कहा कि बैठक के अंदर सभी हंसते हैं, मौज-मस्ती करते हैं और फैसले करते हैं. बैठक खत्म करके बाहर आते ही गुस्सा, तेवर और धमकियों का इजहार करते हैं. इसी तरह से संसद में भी खुलकर और मेलजोल के साथ चर्चा होती है लेकिन बाहर गुस्सा दिखाया जाता है. इस बात को देश की जनता भली भांति समझती है.