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आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ा सकती है पीएमईएसी

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद पीएमईएसी चालू वित्त वर्ष के लिए अपने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ा सकती है. पीएमईएसी ने चालू वित्त वर्ष में 6. 75 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान लगाया था.

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प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद पीएमईएसी चालू वित्त वर्ष के लिए अपने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ा सकती है. पीएमईएसी ने चालू वित्त वर्ष में 6.75 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान लगाया था.

औद्योगिक उत्पादन के शानदार आंकड़ांे के बाद तो अब यह माना जाने लगा है कि चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक वृद्धि दर कंेद्रीय सांख्यिकी संगठन के 7.2 प्रतिशत के अनुमान से भी ज्यादा रहेगी.

पीएमईएसी के चेयरमैन सी रंगराजन ने प्रेट्र से कहा, ‘‘औद्योगिक उत्पादन के आंकडे इस बात का संकेत है कि सीएसओ का 7.2 प्रतिशत का अनुमान इससे उपर के दायरे में रहेगा.’’ रंगराजन ने बताया कि परिषद वर्तमान आर्थिक स्थिति की समीक्षा करेगी और बजट से पहले 2009-10 के लिए आर्थिक परिदृश्य को पेश करेगी. पिछले साल अक्तूबर में पीएमईएसी ने आर्थिक परिदृश्य पर रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें कहा गया था कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.75 प्रतिशत रहेगी.

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बदली परिस्थितियांे में, जब दूसरी तिमाही की आर्थिक वृद्धि दर उम्मीद से कहीं बेहतर रही है और दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर शानदार रही है, ऐसे में माना जा रहा है कि परिषद भी अपने आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाएगी. रंगराजन ने आगे कहा कि औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में नौ प्रतिशत के आसपास रहेगी.
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी रंगराजन ने कहा कि औद्योगिक वृद्धि के बेहतर आंकड़े के मद्देनजर प्रोत्साहन पैकेज की वापसी के जरिए राजकोषीय घाटे को कम करने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है. बजट में प्रोत्साहन पैकेज की वापसी के प्रति आगाह करते हुए फिक्की के महासचिव अमित मित्रा ने कहा, ‘‘ खाद्य उत्पाद, सूती कपड़े, चमड़ा और विभिन्न विनिर्माण खंड जैसे कुछ महत्वपूर्ण क्षेत्र वृद्धि के लिहाज से अभी पिछड़े हैं. ’’ उन्होंने कहा कि प्रोत्साहन पैकेज की वापसी आर्थिक वृद्धि और रोजगार दोनों लिहाज से खतरनाक होगा.

प्रोत्साहन पैकेज की वापसी का मतलब होगा उत्पाद शुल्क या सेवा कर में बढ़ोतरी या फिर योजना व्यय में कटौती. मित्रा ने कहा कि यदि कर की दर बढ़ाई जाती है तो कीमत पर दबाव बढ़ेगा जो पहले ही बढ़ी हुई है.

ऐसोचैम की अध्यक्ष स्वाति पीरामल ने कहा आईआईपी के आंकड़ों से स्पष्ट है कि अगले कुछ महीनों में सुधार की प्रक्रिया और तेज होगी तथा यह बरकरार रहेगी बशर्ते अगले वित्त वर्ष तक प्रोत्साहन पैकेज जारी रहे. सीएसओ के आर्थिक वृद्धि दर 7.2 फीसद रहने के अनुमान के बाद योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया भी प्रोत्साहन पैकेज की चरणबद्ध वापसी का समर्थन किया.

उन्होंने कहा ‘‘ हमें यह कहना चाहिए कि प्रोत्साहन पैकेज सफल रहा है और हमें इसे चरणबद्ध तरीके से खत्म करना शुरू करना चाहिए. अगले साल राजकोषीय घाटा इस साल से कम रहेगा. ’’ हालांकि कल के औद्योगिक वृद्धि के आंकड़े के बाद जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो अहलूवालिया ने इस सवाल को यह कहते हुए टाल दिया ‘‘ हमें इस रहस्य को बरकरार रखना चाहिए. ’’ एचडीएफसी की अर्थशास्त्री ज्योतिंदर कौर ने भी कहा ‘‘मुझे कुछ कर कटौती की वापसी की उम्मीद है.’’ सीएसओ के आंकड़े के जारी होने के बाद वैश्विक इकाई मूडीज और बाक्र्लेज कैपिटल ने भी उम्मीद जताई कि सरकार आंशिक तौर पर प्रोत्साहन पैकेज वापस लेगी.

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