पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रांच में हुए महाघोटाले में नीरव मोदी ग्रुप के साथ मिलीभगत के मामले में बैंक के 3 बड़े अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. मुंबई की ब्रैंडी हाउस ब्रांच में मिली सबूतों से भरी 46 फाइल और 10 कंप्यूटर समेत कई दस्तावेज.
सीबीआई ने इन तीनों अधिकारियों को गिरफ्तार करने के साथ-साथ काफी दस्तावेज भी बरामद किए हैं. फोरेक्स विभाग के हेड चीफ मैनेजर बेचू तिवारी के अलावा यशवंत जोशी और प्रफुल्ल सावंत को गिरफ्तार किया गया है.
बैंक में बेचू तिवारी की जिम्मेदारी थी कि वह गोकुल नाथ शेट्टी और उनके मैनेजर के कामकाज के तरीकों पर नजर रखें, जिनका काम सिस्टम से आते स्विफ्ट संदेशों पर नजर रखना था. उनके पास गोकुल नाथ शेट्टी के काम की सारी जानकारी रहती थी. पूर्व डिप्टी मैनेजर गोकुल शेट्टी को इस घोटाले का मास्टरमाइंड माना जा रहा है.
फोरेक्स विभाग में स्केल टू मैनेजर यशवंत जोशी पर भी यही जिम्मेदारी थी कि वह गोकुल नाथ शेट्टी और उनके मैनेजर के कामकाज के तरीकों पर नजर रखें, साथ ही उनको संदेशों और सीबीएस एंट्रीज की रोजाना रिपोर्ट तैयार करना होता था. उनके पास भी गोकुल नाथ शेट्टी की हरकतों की पूरी जानकारी थी, लेकिन कोई एक्शन नहीं लिया गया.
प्रफुल्ल स्केल, वन अधिकारी जिनका काम बैंक में रोजाना स्विफ्ट संदेशों को चेक करना और रिपोर्ट तैयार करना होता था.
इन अधिकारियों के नवी मुंबई, अंधेरी और दोम्बीवीली स्थित के निवास पर सीबीआई की ओर से छापे मारे गए और जांच शुरू की गई. इसके अलावा छापा लोअर पार्ले में पेनिनसुला बिजनेस पार्क स्थित निरव मोदी ग्रुप के ऑफिस में मारा गया. छापा आज शाम को मारा गया था.
वहीं सीबीआई ने इसी ब्रांच से 12 घंटे चले जांच ऑपरेशन में बड़ी संख्या में दस्तावेज बरामद किया है. 2010 से लेकर अब तक अलग-अलग सालों से जुड़ी 46 फाइलों को बरामद किया गया है.
जांच एजेंसियों की ओर नीरव मोदी मामले में ताबड़तोड़ कार्रवाई जारी है. सीबीआई ने सोमवार सुबह मुंबई की ब्रैडी हाउस शाखा को सील कर दिया. साथ ही उसकी तरफ से बैंक के बाहर नोटिस का पर्चा भी चिपका दिया गया है, जिस पर लिखा है कि इस ब्रांच को नीरव मोदी एलओयू मामले के कारण सील किया जाता है. अब इस ब्रांच में कोई भी काम नहीं होगा. यहां किसी भी पीएनबी कर्मचारी की एंट्री पर भी रोक लग गई है.
दूसरी ओर, इस घोटाले के बाद केंद्रीय सतर्कता आयोग ने सभी बैंकों को आदेश दिया है कि किसी भी अधिकारी को 3 साल से अधिक एक ब्रांच में ना रखा जाए, 31 दिसंबर 2017 तक ऐसा हुआ तो अभी ट्रांसफर कर दिया जाए. इसके अलावा सीवीसी ने आदेश दिया है कि क्लर्क लेवल पर भी जिन अधिकारियों ने 5 साल पूरे कर लिए हैं उनका भी तुरंत प्रभाव से ट्रांसफर किया जाए.