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SBI की तर्ज पर अब इन 4 बैंकों के मर्जर की तैयारी, 21 हजार करोड़ का एनपीए होगा साफ

देश में खस्ताहाल सरकारी बैंकिंग ढांचे को दुरुस्त करने के लिए केंद्र सरकार 4 सरकारी बैंकों के मर्जर प्लान पर काम कर रही है. इस फैसले से जहां देश में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बाद दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक तैयार होगा वहीं केंद्र सरकार के लिए बोझ बन चुके खस्ताहाल बैंक इस मर्जर के बाद अपने पैर पर खड़े हो सकेंगे.

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इन बैंकों के मर्जर से दूर होगा एनपीए, बढ़ेगी सरकार की कमाई
इन बैंकों के मर्जर से दूर होगा एनपीए, बढ़ेगी सरकार की कमाई

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देश में खस्ताहाल सरकारी बैंकिंग ढांचे को दुरुस्त करने के लिए केंद्र सरकार 4 सरकारी बैंकों के मर्जर प्लान पर काम कर रही है. इस फैसले से जहां देश में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बाद दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक तैयार होगा वहीं केंद्र सरकार के लिए बोझ बन चुके खस्ताहाल बैंक इस मर्जर के बाद अपने पैर पर खड़े हो सकेंगे.

केंद्र सरकार की तैयारी के मुताबिक एक और बड़ा सरकारी बैंक बनाने की कवायद में आईडीबीआई, सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स का मर्जर किया जाएगा. इन चारों बैंकों के मर्जर के बाद तैयार होने वाले नए बैंक की कुल संपत्ति 16.58 लाख करोड़ रुपये आंकी जा रही है. गौरतलब है कि इन बैंकों का विलय सरकार के लिए इसलिए भी जरूरी हो गया है क्योंकि 2018 में इन चारों बैंकों का कुल घाटा लगभग 22 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है.

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एनपीए के बोझ तले दबे सरकारी बैंकों के लिए इस मर्जर प्लान को केंद्र सरकार इसलिए भी तरजीह दे रही है क्योंकि जहां अलग-अलग चारों बैंकों को घाटे के दौर से गुजरना पड़ा रहा है. मर्जर के बाद नए बैंक में सबसे कमजोर कड़ी अपनी संपत्ति आसानी से बेच सकेगी और घाटे की भरपाई की प्रक्रिया को शुरू कर सकेगी.

इसके अलावा, कमजोर बैंक अपने संचालन घाटे को कम करने के लिए उन ब्रांचों को आसानी से बंद करने का फैसला ले पाएगी जहां उसे सबसे ज्यादा घाटा उठाना पड़ा रहा है. गौरतलब है कि मर्ज हुए अन्य बैंक उन क्षेत्रों में अपनी शाखाओं को जारी रखते हुए विस्तार कर सकेंगे वहीं खस्ताहाल बैंक अपनी शाखा को बंद कर सकेंगे.

इसे पढ़ें: सरकारी बैंकों के विलय से पहले उनके एनपीए का समाधान जरूरी: रघुराम राजन

इन फायदों के अलावा मर्ज होने वाले सभी सरकारी बैंक अपने कर्मचारियों की छंटनी को आसानी से कर पाएंगे. केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक इन चारों बैंकों में सबसे खस्ताहाल स्थिति आईडीबीआई बैंक की है. लिहाजा, केंद्र सरकार इस बैंक में लगभग 51 फीसदी तक की हिस्सेदारी किसी निजी कंपनी को बेचने की भी तैयारी कर रही है. इस बिक्री से केंद्र सरकार को लगभग 9 से 10 हजार करोड़ रुपये जुटाने में भी मदद मिलेगी.

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गौरतलब है कि इससे पहले केंद्र सरकार ने देश में लगभग 14 बैंकों को देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक एसबीआई के साथ मर्ज करने की योजना बनाई थी. हालांकि इस योजना को कारगर करने से पहले केंद्र सरकार ने अब देश में 4-5 बड़े बैंकों का खाका तैयार किया है. इसी के तहत पिछले साल सरकार ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के 5 एसोसिएट बैंक और भारतीय महिला बैंक को स्टेट बैंक में मर्ज किया था. अब इस फैसले से वह आईडीबीआई, सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स को मर्ज करते हुए देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक बनाने की कवायद कर रही है. गौरतलब है कि केंद्र सरकार की यह कोशिश बैंकिंग व्यवस्था को मजबूत करते हुए वैश्विक स्तर पर 4-5 भारतीय बैंकों को खड़ा करने की है.

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