सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम कर रही कंपनियों को चेताया है कि वे सीमापर की अपनी सम्बद्ध इकाइयों के साथ किए जाने वाले सौदों की आड़ में भारत से कमाई बाहर भेजने की गलती न करें.
वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने ट्रांसफर प्राइसिंग (यानी एक ही समूह की दो कंपनियों के बीच के सौदों में कीमत निर्धारण के आधार) के विषय में एक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि ऐसे सौदों की आड़ में लाभ को विदेश भेजने की समस्या पर अंकुश लगाने में (ट्रांसफर प्राइसिंग) नियमन व्यवस्था की विशेष भूमिका है.
उन्होंने कहा कि भारत उन कुछ देशों में शामिल हैं जो निवेश और कारोबार की दृष्टि से काफी आकषर्क बने हुये हैं इसलिये कारोबार की आड़ में मुनाफे को यहां से हस्तांतरित करने की प्रवृति बनी है. केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुये श्री मुखर्जी ने कहा कि सरकार ने उघोगों को आर्थिक मंदी से उबारने के लिये पिछले वित्त वर्ष में 186000 करोड़ रुपये की रियायतें दी. यह राशि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.5 प्रतिशत तक बैठती है.
अकले उघोगों को ही कर दरें घटाकर 42000 करोड़ रुपये की रियायतें दी गई. इसी का परिणाम है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में पिछले एक साल में काफी उठापटक रही. राजकोषीय घाटा 2.5 प्रतिशत के बजट अनुमान से बढकर 6.2 प्रतिशत तक पहुंच गया और 2008-09 में आर्थिक वृद्धि 6.7 प्रतिशत रह गई. इससे पहले लगातार तीन साल इसमें औतसन 9 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धी दर्ज की गई थी. चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.8 प्रतिशत तक पहुंच जाने का अनुमान है.