केन्द्रीय प्रसार भारती बोर्ड ने केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के आदेश कि वह दूरदर्शन और आकाशवाणी के सभी कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दे को मानने से इनकार कर दिया है. प्रसार भारती बोर्ड ने मंत्रालय के इस आदेश को मानने से मना करते हुए कहा है कि यह मंत्रालय द्वारा दखलअंदाजी का सीधा मामला है.
प्रसार भारती ने मंत्रालय के आदेश को न मानते हुए दलील दी है कि इस फैसले से दोनों दूरदर्शन और आकाशवाणी के ठप पड़ जाने का डर है. दरअसल दोनों दूरदर्शन और आकाशवाणी में बड़ी संख्या में कॉन्ट्रैक्ट पर कर्मचारी हैं और बिना किसी वैकल्पिक ढांचे को खड़ा किए बगैर इन कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करने से दोनों संस्थाओं का काम काज प्रभावित होगा.
गुरुवार को प्रसार भारती बोर्ड की बैठक में लिए गए इस फैसले के बाद इन दोनों संस्थाओं में दो वरिष्ठ पत्रकारों की नियुक्ति के लिए मंत्रालय के प्रस्ताव को वापस ले लिया गया है. सूत्रों का दावा है कि मंत्रालय ने दोनों संस्थाओं में बड़े पैकेज पर दो वरिष्ठ पत्रकारों की नियुक्ति का प्रस्ताव दिया था.
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लेकिन इन प्रस्तावों के उलट खुद मंत्रालय ने प्रसार भारती में कॉन्ट्रैक्ट पर किसी भी नियुक्ति की अधिकतक मासिक सैलरी 1.6 लाख रुपये तय की है. लिहाजा, सीधे किसी एक कर्मचारी को 1 करोड़ रुपये दिए जाने को न्यायसंगत नहीं ठहराया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक सूचना प्रसारण मंत्रालय ने जिन दो वरिष्ठ पत्रकारों की प्रसार भारती में नियुक्ति का प्रस्ताव दिया था उनके लिए क्रमश: 1 करोड़ रुपये और 75 लाख रुपये वार्षिक भुगतान का प्रावधान किया जा रहा था.
प्रसार भारती की बोर्ड बैठक में इनके अलावा भी कई ऐसे मुद्दे उठाए गए जिनपर प्रसार भारती ने सूचना प्रसारण मंत्रालय से अलग राय रखी है. मंत्रालय के एक अन्य प्रस्ताव के मुताबिक प्रसार भारती बोर्ड में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को नियुक्त करने का था. इस प्रस्ताव के विरोध में बोर्ड के चेयरमैन और अन्य सदस्यों खुलकर सामने आए. बोर्ड के सदस्यों ने कहा कि मंत्रालय के प्रस्ताव की भाषा से उन्हें परहेज है.
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मंत्रालय के इस फैसले को मानने से भी प्रसार भारती एक्ट समेत उप राष्ट्रपति पद की गरिमा भंग होने का खतरा है. मौजूदा कानून के मुताबिक प्रसार भारती बोर्ड में किसी भी सदस्य की नियुक्ति उप राष्ट्रपति के अधीन बनी समिति ही कर सकती है. वहीं बोर्ड में सदस्य कार्मिक और सदस्य वित्त के लिए सिर्फ प्रसार भारती के पूर्ण कालिक सदस्य और कर्मचारी को ही नियुक्त किया जा सकता है.