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अब रेलवे में प्रमोशन का 'घोटाला'

रेलवे बोर्ड में दो सचिवालय संबंधी सेवाओं में प्रमोशन में बड़ी अनियमितता सामने आई है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रेल मंत्रालय के कुछ अधिकारी रेलवे की दो कम जानी पहचानी सेवाओं- रेलवे बोर्ड सचिवालय सेवा (आरबीएसएस) और रेलवे बोर्ड सचिवालय लिपिकीय सेवा (आरबीएससीएस) में उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना और कैबिनेट के अधिकार क्षेत्र की उपेक्षा कर अधिकारियों को प्रमोट करते पाए गए हैं.

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रेलवे बोर्ड में दो सचिवालय संबंधी सेवाओं में प्रमोशन में बड़ी अनियमितता सामने आई है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि रेल मंत्रालय के कुछ अधिकारी रेलवे की दो कम जानी पहचानी सेवाओं- रेलवे बोर्ड सचिवालय सेवा (आरबीएसएस) और रेलवे बोर्ड सचिवालय लिपिकीय सेवा (आरबीएससीएस) में उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना और कैबिनेट के अधिकार क्षेत्र की उपेक्षा कर अधिकारियों को प्रमोट करते पाए गए हैं.

उन्होंने कहा कि अधिकारियों को सेवा के न्यूनतम 16 साल के अनुभव के मानक को पूरा किए बिना इंडियन रेलवे सर्विस ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर (आईआरएसएमई), इंडियन रेलवे पर्सनल सर्विस (आईआरपीएस) और यहां तक कि आईएएस जैसी ग्रुप ‘ए’ की रेलवे सेवाओं की उपेक्षा कर उच्च प्रशासनिक ग्रेड (एचएजी) और वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड (एसएजी) में पदोन्नत किया जा रहा है. एचएजी और एसएजी को क्रमश: एक अतिरिक्त सचिव और संयुक्त सचिव स्तर का अधिकारी दिया जाता है.

सूत्रों ने बताया कि वर्तमान में सामान्य तौर केंद्रीय सचिवालय सेवा (सीएसएस) से ताल्लुक रखने वाले किसी अधिकारी को सेवा के 23 साल पूरे करने के बाद एसएजी दिया जाता है, ग्रुप ए के रेलवे सेवा अधिकारी को सेवा के 23 साल बाद और आईएएस अधिकारी को सेवा के 20 साल बाद. उन्होंने कहा कि आरबीएसएस में कई अधिकारियों को आवश्यक जरूरतों को पूरा किए बिना एसएजी ग्रेड दिया जा रहा है, जबकि उन्हें ग्रुप ‘बी’ सेवा में भर्ती किया गया था. इसे एक ‘‘गंभीर गलती’’ करार देते हुए वित्त मंत्रालय ने हाल में रेलवे को लिखा है कि वह इन अधिकारियों को पदोन्नत करने के अपने फैसले को रद्द करे जिसके लिए लगभग एक साल पहले आदेश जारी किए गए थे.

वित्त मंत्रालय के तहत व्यय विभाग ने उल्लेख किया कि ‘‘आरबीएसएस और आरबीएससीएस के कैडर का पुर्नगठन करते समय रेल मंत्रालय ने मामला स्वीकृति के लिए इस विभाग को नहीं भेजा और उल्टे मंत्रिमंडल की मंजूरी के बिना एसएजी स्तर के पांच अतिरिक्त पद सृजित कर दिए’’. इसने रेलवे को लिखे कड़े शब्दों वाले आधिकारिक पत्रक में कहा, ‘‘यह निर्णय लेने वाले प्राधिकारी के समक्ष तथ्यात्मक स्थिति और नियम एवं शर्त रखने के जिम्मेदार अधिकारियों की ओर से एक गंभीर खामी है’’. नियमों के मुताबिक एसएजी स्तर से नीचे के पद सृजित करने के लिए वित्त मंत्री और स्तर से उपर के संयुक्त सचिव तथा अन्य पद सृजित करने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी आवश्यक होती है.

संदेश में कहा गया, ‘‘यह उल्लेख करना उपयुक्त होगा कि कैडर समीक्षा में वित्तीय जटिलताएं होती हैं जिसके लिए व्यय विभाग (डीओई) से सहमति लेना आवश्यक होता है. रेलवे बोर्ड को पूर्व में भी इस बारे में अवगत कराया जा चुका है.’’ डीओई ने दूसरे उदाहरण का उल्लेख किया जिसमें रेलवे बोर्ड ने रेल मंत्रालय में ग्रुप सी और ग्रु डी कर्मियों के इन-हाउस कैडर पुनर्गठन की प्रक्रिया के लिए इसकी सहमति मांगी है. संदेश में कहा गया है कि तब ग्रुप सी कर्मियों के इन-हाउस कैडर पुनर्गठन की मंजूरी देते हुए, ‘‘रेल मंत्रालय को स्पष्ट रूप से कहा गया था कि ग्रुप ए और ग्रुप बी सेवाओं की कैडर समीक्षा लगातार इस मंत्रालय को भेजी जाती रहे.’’ यह उल्लेख करना उपयुक्त होगा कि आरबीएसएस और आरबीएससीएस के ये अधिकारी रेलवे में ग्रुप ए के कैडर प्रबंधन के लिए जिम्मेदार हैं. आरबीएसएस और आरबीएससीएस कर्मी, जिनकी संख्या करीब 500 है, रेल मंत्रालय में सामान्य प्रशासन स्टाफ के रूप में काम करते हैं.

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