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बड़ी खबर, प्रॉपर्टी के दामों में भारी गिरावट!

इस समय जहां एक ओर शेयर बाजार कुलांचे भर रहा है तो दूसरी ओर प्रॉपर्टी मार्केट चारों खाने चित्त होता दिख रहा है. एक आर्थिक पत्र ने यह खबर दी है. पत्र ने उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर यह जानकारी दी है. उसके मुताबिक बड़े शहरों में स्थानीय बिल्डरों और निवेशकों द्वारा बनाए गए हजारों मकानों के दाम में पिछले एक साल में 20 से 30 प्रतिशत तक की गिरावट आई है.

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इस समय जहां एक ओर शेयर बाजार कुलांचे भर रहा है तो दूसरी ओर प्रॉपर्टी मार्केट चारों खाने चित्त होता दिख रहा है. एक आर्थिक पत्र ने यह खबर दी है. पत्र ने उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर यह जानकारी दी है.

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उसके मुताबिक बड़े शहरों में स्थानीय बिल्डरों और निवेशकों द्वारा बनाए गए हजारों मकानों के दाम में पिछले एक साल में 20 से 30 प्रतिशत तक की गिरावट आई है. कारण यह है कि बाजार में खरीदार नहीं है और बिल्डर इनसे पीछा छुड़ाना चाहते हैं क्योंकि इनमें उनके करोड़ों रुपये फंस गए हैं.

पत्र ने एक बड़े ब्रोकर का हवाला देते हुए बताया है कि उसके पास 50 मकान बिकने को आए हुए हैं लेकिन उनके लिए खरीदार नहीं मिल रहे हैं. उसने बताया कि खरीदार हैं ही नहीं. जो पूछताछ कर भी कर रहे हैं वो भी खरीदने में इच्छुक नहीं है क्योंकि उनकी नजर में इनकी कीमतें ज्यादा हैं.

एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने बताया कि मार्केट ढीला है. सेकेंडरी बाजार में खरीदार नहीं है और उस सेगमेंट में कीमतें नीचे आ रही हैं.

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प्रॉपर्टी कंसल्टेंट सीबीआरई साउथ एशिया के एमडी अंशुमान मैगजीन ने कहा कि प्रॉपर्टी बाजार में बिना बिके हुए मकानों की तादाद बढ़ती जा रही है. इनकी संख्या बढ़ने से निवेश इन्हें निकालने को आतुर हैं. इसलिए यह इन्हें निकालने का अच्छा मौका है. लेकिन खरीदार अभी आश्वस्त नहीं हैं.

हालांकि शेयर बाजारों में नरेन्द्र मोदी के पीएम बनने की संभावना से तेजी आ रही है लेकिन यह बात प्रॉपर्टी बाजार में लागू नहीं होती है. वहां किसी तरह का आत्मविश्वास देखने में नहीं आ रहा है. लोग मकान खरीदने को इच्छुक नहीं दिखाई दे रहे हैं. लोग आगे के लिए आशावान नहीं हैं. मॉनसून के कमजोर होने की संभावना बताई जा रही है जिससे महंगाई फिर बढ़ सकती है और उसका असर ब्याज दरों पर पड़ेगा जो ऊपर ही जाएंगी. यह सोचकर ग्राहक मकानों में पैसे लगाने के बारे में फिर से सोच रहे हैं.

एक अन्य एक्सपर्ट ने कहा कि लोगों की आय में उस तरह से बढ़ोतरी नहीं हुई है लेकिन प्रॉपर्टी के दाम बहुत बढ़ चुके हैं. घर खरीदने वाले एक स्थिर सरकार चाहते हैं.

लोगों में कुछ बड़ी परियोजनाओं में विलंब और अदालती मामलों के कारण निगेटिव सेंटीमेंट भी है. उन्हें इस क्षेत्र में अनिश्चितता दिखाई दे रही है.

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मुंबई के मलाड, गोरेगांव उपनगरों में दो रूम के फ्लैट जो छह महीने पहले 1.5 करोड़ रुपये से 1.7 करोड़ रुपये तक में मिलते थे. अब 1.2 करोड़ से 1.3 करोड़ रुपये तक में मिल रहे हैं. कांदिवली, बोरिवली, मलाड, भांडुप, मुलुंड, विक्रोली, ठाणे और खारगर पनवेल बेल्ट में कीमतें 20 प्रतिशत तक गिर गई हैं.

दिल्ली में भी हालत कुछ ऐसी ही है. साउथ दिल्ली में 5,000 से भी ज्यादा बिल्डर फ्लोर, बंगले, प्लॉट वगैरह उपलब्ध हैं. सफदरजंग एन्क्लेव में जहां जमीन 8 लाख रुपये प्रति वर्ग गज थी वहां अब यह गिरकर 5 लाख रुपए प्रति वर्ग गज पर आ गई है. वसंत विहार में यह 10 लाख रुपये प्रति वर्ग गज से गिरकर 5 लाख रुपये प्रति वर्ग गज पर आ गई है, कालकाजी में 200 वर्ग गज पर बना अपार्टमेंट अब 2.75 करोड़ रुपये में मिल रहा है. साल भर पहले इसकी कीमत 3.15 करोड़ रुपये थी.

धीमी होती हुई अर्थव्यवस्था और राजनीतिक अनिश्चितता ने खरीदारों को बाज़ार से दूर कर दिया है. अब नए निवेशक बाज़ार के और गिरने का इंतज़ार कर रहे हैं. उधर विक्रेता धीरे-धीरे पस्त हो रहे हैं. उनके पास भी नकदी की कमी होती जा रही है. खरीदार राजनीतिक स्थिति को देख रहे हैं. अगर एक स्थिर सरकार बनी तो ठीक है वरना प्रॉपर्टी के दाम और भी गिरेंगे.

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