ओएनजीसी में 116 एलाइड कर्मचारियों के साथ हुए करीब सवा करोड़ के पीएफ घोटाले का मामला सामने आया है. मामले में सीबीआई ने ठेकेदार और ओएनजीसी के अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
महारत्न कंपनी को दुनियाभर में देश का नाम रोशन करने के लिए जाना जाता है लेकिन साल 2009 से लेकर 2012 के बीच हुए एक पीएफ घोटाले में दर्ज सीबीआई की एफआईआर ने ‘कंपनी में सबकुछ ठीक है’ की धारणा पर सवाल खड़ा कर दिया है.
सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक साल 2009 में ओएनजीसी ने ज्युपिटर हॉस्पिटैलिटी के राकेश पॉल को काम का ठेका दिया लेकिन ठेकेदार और ओएनजीसी के अधिकारी मिलकर 116 एलाइड कर्मचारियों का पीएफ और ईएसआई फंड उनके खाते में जमा करने के बजाय पीएफ की रकम खा गए.
एफआईआर के मुताबिक आरोपी राकेश पॉल ने अपने बयान में कहा है कि तमाम फर्जी दस्तावेज उसने ओएनजीसी में तब प्रिंसिपल एम्पलॉयर रहे एसएससी पार्थिबन के इशारे पर बनाए. हैरत की बात ये है कि फरवरी 2015 में मामले में एफआईआर दर्ज हुई और इसके बावजूद ओएनजीसी ने प्रिंसिपल एम्प्लॉयर पर कार्रवाई करने की बजाय उन्हें प्रमोशन दे दिया.