रिजर्व बैंक ने रघुराम राजन की मंदी को लेकर की गयी भविष्यवाणी को सोमवार को सफाई दी. रिजर्व बैंक ने अपने बयान में कहा कि गवर्नर रघुराम राजन ने यह नहीं कहा कि दुनिया फिर 1930 जैसी महामंदी की स्थिति में फंसने के कागार पर है.
ग्रेट डिप्रेशन पर सफाई
रिजर्व बैंक ने कहा कि 1929-30 के ग्रेट डिप्रेशन के उस दौर में मंदी आने के कई और कारण भी थे. आरबीआई का स्पष्टीकरण 1930 जैसी समस्याओं के फिर खड़े होने संबंधी राजन के बयान के बाद आया है. राजन के बयान के बाद पूरी दुनिया में खलबली मच गई थी. IMF ने तो बाकायदा रिसर्च पेपर जरी कर राजन की भविष्यवाणी को गलत ठहराया था.
केंद्रीय बैंकों को नसीहत
रिजर्व बैंक ने हालांकि आज एक बयान स्पष्ट किया कि राजन ने यह जरूर कहा था कि दुनिया के प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा जिस तरह की नीतियां अपनाई जा रही हैं वो सब उनके पड़ोसियों के लिए गड्ढा खोदने की नीति में तब्दील होने वाली है. इसी तरह की नीतियां 1930 के दशक में भी अपनाई जा रही थीं.
राजन का तात्पर्य
रिजर्व बैंक ने साफ कहा कि गवर्नर राजन के कहने का तात्पर्य यह नहीं था कि विश्व अर्थव्यवस्था के सामने नयी महामंदी में डूबने का खतरा है. पड़ोसी के लिए गड्ढा खोदने की रणनीति का अर्थ दूसरे देशों की कीमत पर अपना निर्यात बढ़ाने और आयात कम करने से है. इसके लिए आम तौर पर सारे देश अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करते हैं ताकि उनका सामान विदेशों में सस्ता बिक सके.
स्पष्टीकरण
रिजर्व बैंक ने स्पष्टीकरण में दो टूक कहा कि एक हलके ने गवर्नर रघुराम राजन की टिप्पणियों को गलत रूप दे दिया और इसे इस तरह प्रस्तुत किया कि राजन ने कहा कि दुनिया के सामने महामंदी का जोखिम है. जबकि गवर्नर रघुराम जी राजन ने ऐसा कुछ भी नहीं कहा था.