रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक बार फिर भारतीय राजनीति पर सवाल उठाते हुए कहा है कि देश को एक ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो सही दिशा देने का काम करे. राजन के मुताबिक सबसे परेशान करने वाला पक्ष यह है कि मौजूदा समय में देश का नेतृत्व महज ऐसे लोग कर रहे हैं जो महज कुछ तबकों को केन्द्र में रखते हुए फैसले करते हैं. इसी के चलते महज लोकप्रियता के आधार पर खड़े हुए नेतृत्व द्वारा गलत फैसला लेने का खतरा बढ़ जाता है क्योंकि वह सभी तबकों की न तो बात सुनता है और न ही अपने फैसलों में उन्हें शामिल करता है.
रघुराम राजन ने यह बातें एक अखबार को दिए साक्षात्कार में कही. राजन ने कहा कि मौजूदा हालात में देश को ऐसे नेतृत्व की जरूरत है जो सभी की बातों को सुनते हुए सबको सही दिशा देने में कामयाब हो. राजन के मुताबिक देश का नेतृत्व लोकप्रियता से प्रभावित होकर कम समय में कम लोगों को फायदा पहुंचाने की कोशिश करता है. वहीं इस दबाव में वह लंबी अवधि और सबके हित में फैसला नहीं ले पाता है.
राजन के मुताबिक देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोकप्रियता के आधार पर चयन प्रभावी है. हालांकि इस चयन में देखने को मिलता है कि हमें नेतृत्व के लिए ऐसा तानाशाह मिल जाता है जिसे हम चाहते नहीं और जिसे हम चाहते हैं वह नेतृत्व पाने में पीछे छूट जाता है.
हालांकि रघुराम राजन ने कहा कि इस समस्या का समाधान भी लोकतंत्र में निहित है. राजन के मुताबिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया से आया नेतृत्व किसी तानाशाह के नेतृत्व से ज्यादा स्थिर रहता है. राजन ने जिम्बाब्वे के मुगाबे और कॉन्गो के मोबुतु सीसी सीको का उदाहरण देते हुए कहा कि लोकप्रियता के आधार खड़े हुए इन तानाशाहों को भले कम समय में नेतृत्व मिला लेकिन लोकतांत्रिक विकास की कमी के चलते इनका नेतृत्व दिशाहीन रहा.