ट्रेनों में वरिष्ठ नागरिकों को दिए जा रहे कोटे पर दुरुपयोग की शिकायत मिलने पर रेल प्रशासन की नजर अब टेढ़ी हो गई है. वरिष्ठ नागरिकों के कोटे के नाम पर दुरुपयोग को रोकने के लिए नया नियम लागू होगा. वरिष्ठ नागरिकों को अब टिकट बुकिंग के दौरान उम्र का प्रमाण देना होगा. प्रमाण दिखाने पर ही टिकट का आरक्षण किया जाएगा. कोई यात्री अगर गलत प्रमाण दिखाता है तो उसकी आरक्षित बर्थ निरस्त कर दी जाएगी.
अब तक ऐसे मिलती थी टिकट
गौरतलब है कि रेलवे में अभी तक किसी भी रेल आरक्षण केंद्र या ऑनलाइन टिकट की खरीद पर कोई भी आयु प्रमाणपत्र नहीं देना पड़ता था. वरिष्ठ नागरिक के लिए लोअर बर्थ भी कनफर्म हो जाती थी. इसके साथ ही यात्रा में पुरुषों को 60 वर्ष से अधिक होने पर 40 प्रतिशत और महिलाओं को 58 वर्ष से ऊपर होने पर 50 प्रतिशत की किराए में छूट मिलती है. यात्रा के दौरान वरिष्ठ नागरिकों को अपना आयु प्रमाणपत्र दिखाना होता था. ऐसे में यात्री आरक्षण कराते समय अपनी उम्र को गलत दर्शाकर वरिष्ठ नागरिक कोटे का लाभ ले लेते थे.
अब मिलेगी जरूरतमंदों को सीट
यात्रा के दौरान अगर टीटीई पकड़ लेता था तो यात्री जुर्माना देकर बच जाते थे. इतना ही नहीं, आयु प्रमाणपत्र न दिखा पाने की स्थिति में यात्रियों से डिफरेंस फेयर वसूल कर उसे सीट दे दी जाती थी, जिससे रेल राजस्व का नुकसान होता था और सीट भी जरूरतमंद को नहीं मिल पाती थी. इस कोटे में यात्रियों के द्वारा दुरुपयोग होने की शिकायत मिलने पर रेलवे बोर्ड ने अब नियम कड़े कर दिए हैं.
बिना प्रमाणपत्र यात्री माने जाएंगे बेटिकट
रेलवे बोर्ड के नए नियम के अनुसार, अब टिकट तो पहले की तरह ही बुक कराया जा सकेगा और यात्रा के दौरान ही आयु प्रमाणपत्र देना होगा. यदि यात्री आयु प्रमाणपत्र न दे सका तो उसे अब बेटिकट माना जाएगा. रेलवे अब ऐसे यात्रियों से बिना टिकट का ही जुर्माना वसूलेगा. साथ ही उसकी सीट भी निरस्त कर देगा.
रेलवे बोर्ड ने नए नियम का आदेश आईआरसीटीसी और क्रिस को भी भेज दिया है. रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार, वरिष्ठ नागरिकों को अधिक सुविधा देने और रेलवे को राजस्व हानि से बचाने के लिए यह निर्णय किया गया है.