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रतन टाटा की समृद्ध विरासत, साइरस के लिए चुनौती

देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने की बागडोर शुक्रवार को अपने उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री के हाथों में देने जा रहे रतन टाटा उनके लिए सिर्फ 100 अरब डॉलर का विशाल कारोबारी साम्राज्य ही नहीं छोड़ रहे हैं, बल्कि वह विरासत भी छोड़ रहे हैं, जिसके कारण कारोबारी दुनिया में उनकी विशेष पहचान है.

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रतन टाटा
रतन टाटा

देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने की बागडोर शुक्रवार को अपने उत्तराधिकारी साइरस मिस्त्री के हाथों में देने जा रहे रतन टाटा उनके लिए सिर्फ 100 अरब डॉलर का विशाल कारोबारी साम्राज्य ही नहीं छोड़ रहे हैं, बल्कि वह विरासत भी छोड़ रहे हैं, जिसके कारण कारोबारी दुनिया में उनकी विशेष पहचान है.

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रतन टाटा ने 1962 में जमशेदपुर के इस्पात संयंत्र में एक प्रशिक्षु के रूप में पेशेवर सफर शुरू किया था. 1991 में उनके चाचा जेआरडी टाटा ने उनके हाथ में सम्पूर्ण कारोबारी समूह की बागडोर सौंप दी. यह देश के लिए भी एक नया मोड़ था, जो उदारीकरण की तरफ बढ़ रहा था.

तब से दो दशकों से कुछ अधिक समय में रतन टाटा ने न सिर्फ देश में टाटा समूह के कारोबार को बढ़ाया, बल्कि विदेशों में भी इसका विस्तार किया, कई कम्पनियों का अधिग्रहण किया और कारोबार में विविधता लाई.

हाल में उन्होंने दुनिया का सबसे छोटी कार नैनो भेंट की. इससे पहले 2008 में सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.

बजाज समूह के अध्यक्ष राहुल बजाज ने कहा कि रतन ने अपने पूर्ववर्तियों और खासकर जेआरडी द्वारा रखी गई मजबूत आधारशिला को कुशलतापूर्वक आगे बढ़ाया.

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बजाज ने कहा कि वह 75 वर्ष की अवस्था में सेवानिवृत्त हो रहे हैं इसी से पता चलता है कि उन्होंने टाटा समूह का प्रबंधन मूल्यों के साथ किया है.

टाटा समूह में आज 30 सूचीबद्ध कम्पनियां हैं और इसका कुल बाजार पूंजीकरण आज 825 अरब डॉलर है, जो 1991 से 33 गुणा अधिक है. दो दशकों में समूह की बिक्री में 43 गुणे और शुद्ध लाभ में 51 गुणे की वृद्धि हुई.

पिछले एक दशक से कुछ अधिक समय में समूह ने ब्रिटेन की दिग्गज कम्पनी टेटली, यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी इस्पात कम्पनी कोरस, ब्रिटेन की प्रतिष्ठित वाहन कम्पनी जगुआर लैंड रोवर जैसी दिग्गज कम्पनियों का अधिग्रहण किया.

जानकारों के मुताबिक रतन टाटा के नेतृत्व में समूह ने दूरसंचार, वित्त, रिटेल, सूचना प्रौद्योगिकी और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में कारोबारी विस्तार किया. समूह ने उनकी अगुआई में रणनीति में ठीक से फिट नहीं होने वाले सिमेंट जैसे कई कारोबारों से पल्ला भी झाड़ा.

गोदरेज समूह के अध्यक्ष और भारतीय उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष आदि गोदरेज ने कहा कि रतन टाटा ने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) और टाटा मोटर्स की मजबूती का लाभ उठाया और टाटा ऑयल मिल्स तथा लक्मे जैसे कारोबारों से समूह को अलग किया. गोदरेज ने कहा कि समूह के प्रति सोच की स्पष्टता और दूरदर्शिता उनमें शुरू से आखिर तक दिखी.

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रतन टाटा ने समूह के शीर्ष पद के लिए सेवानिवृत्ति की उम्र 75 वर्ष निर्धारित की और इसी के तहत शुक्रवार को पद से सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं. उनकी जगह 44 वर्षीय साइरस मिस्त्री लेंगे, जिनका चुनाव एक चयन समिति ने किया है.

टाटा समूह के 144 वर्षों के इतिहास में मिस्त्री छठे अध्यक्ष होंगे और बगैर टाटा उपनाम वाले दूसरे अध्यक्ष होंगे. रतन टाटा के अलावा इस शीर्ष पद पर पहले रहने वालों में हैं- जमशेदजी नुसेरवालांजी टाटा, सर दोराब टाटा, सर नौरोजी सकलातवाला और जेआरडी टाटा.

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