प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में प्रचार के दौरान प्रदेश के किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया. प्रधानमंत्री के वादे के मुताबिक राज्य में बीजेपी की सरकार बनते ही सबसे पहला फैसला किसानों का कर्ज माफ करने के लिए लिया जाना था. राज्य में बीजेपी की सरकार बन चुकी है, योगी आदित्यनाथ प्रदेश के नए मुख्यमंत्री है, लेकिन अब प्रधानमंत्री के वादे को पूरा करने के लिए फैसला नहीं लिया जा पा रहा है. जानें क्यों मुश्किल हो गया है कर्जमाफी का फैसला..
किसनों के कर्जमाफी पर RBI का रुख
किसान कर्ज माफी का विरोध करने वालों में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस.एस. मूंदड़ा भी शामिल हो गए हैं. उन्होंने कहा है कि इससे कर्ज लेने और देने वाले के बीच अनुशासन बिगड़ता है. हालांकि उन्होंने साफ किया कि यह रिजर्व बैंक का रुख नहीं है. सरकार की तरफ से भी इस बारे में कोई सूचना नहीं मिली है. मूंदड़ा ने यह जरूर कहा कि आरबीआई पारंपरिक रूप से किसान कर्ज माफी के खिलाफ रहा है. उन्होंने कहा, ज्यादा जरूरी यह देखना है कि कर्ज माफी की जरूरत है या नहीं. अगर है तो उसका तरीका क्या होना चाहिए?
अरुंधति ने किसानों की कर्जमाफी पर क्या कहा था
पिछले हफ्ते बुधवार को देश के सबसे बड़ बैंक एसबीआई की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने भी किसान कर्ज माफ किए जाने पर आपत्ति जताई थी. उन्होंने भी अनुशासन बिगड़ने की बात कही थी. उन्होंने कहा था कि कर्ज लेने वाले कर्ज चुकाने के बजाय अगले चुनाव का इंतजार करेंगे. इसके बाद कांग्रेस नेताओं ने नरीमन प्वाइंट स्थित एसबीआई के मुख्यालय में प्रदर्शन किया था. रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी ऐसी योजनाओं को ‘नैतिक रूप से गलत’ मानते थे.