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रेपो रेट व CRR घटा, सस्ते होंगे बैंक लोन

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को रेपो रेट और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में चौथाई फीसदी की कटौती का एलान किया.

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रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया

करीब नौ माह बाद अपने कड़े मौद्रिक रुख में बदलाव करते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को नीतिगत ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत कटौती की घोषणा की. इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने बैंकिंग प्रणाली के लिए 18,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी भी उपलब्ध कराई है.

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केंद्रीय बैंक के इन कदमों से कर्ज की लागत घटेगी और साथ ही इससे अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार दी जा सकेगी.

रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने मंगलवार को मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा पेश करते हुए लघु अवधि की ऋण दर (रेपो दर) में चौथाई फीसद की कटौती की घोषणा कर बाजार में हैरान कर दिया. अब रेपो दर घटकर 7.75 प्रतिशत पर आ गई है.

इसी के साथ नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में भी 0.25 फीसद की कटौती कर इसे 4 प्रतिशत कर दिया गया है. इससे बैंकों के पास ऋण देने और अपनी अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए 18,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी.

बैंकों को अपनी जमा का एक निश्चित अनुपात केंद्रीय बैंक के पास रखना होता है, जिससे सीआरआर कहा जाता है. वहीं दूसरी ओर बैंक अपनी लघु अवधि की जरूरत के लिए केंद्रीय बैंक से जिस दर पर उधारी लेते हैं, उसे रेपो दर कहा जाता है.

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सुब्बाराव ने कहा, ‘मुद्रास्फीति का जोखिम कम होने के मद्देनजर इस तिमाही समीक्षा में उचित ब्याज दर माहौल उपलब्ध कराने का प्रयास किया गया है.’

हालांकि, रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 5.8 प्रतिशत से घटाकर 5.5 फीसद कर दिया है. इसके अलावा महंगाई की दर के अनुमान को भी कम किया गया है. पहले केंद्रीय बैंक ने मार्च अंत तक मुद्रास्फीति 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था, जिसे अब घटाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया गया है.

सुब्बाराव ने कहा, ‘मुद्रास्फीति में नरमी के वातावारण से मौद्रिक नीति को आर्थिक वृद्धि की राह के जोखिम को कम करने के राजकोषीय और अन्य उपायों के साथ संयोजन करने में सहूलियत होती है.’

रिजर्व बैंक के गवर्नर ने सरकार द्वारा हाल में उठाए गए सुधारात्मक कदमों की सराहना की. इनमें बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की छूट के अलावा सामान्य कर परिवर्जन रोधी नियम (गार) को लागू करने की तिथि टालने और डीजल को आंशिक तौर पर मूल्य नियंत्रण से मुक्त करने जैसे निर्णय शामिल हैं.

सुब्बाराव ने कहा कि सरकार के ये कदम वृहद आर्थिक परिस्थितियां को सुदृढ करने और अर्थव्यवस्था को एक बार से ऊंची वृद्धि की राह पकड़ने में सहायक होंगे.

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ब्याज दरों में कटौती के बाद शेयर बाजार में उत्साह देखने को मिला. बंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 91 अंक की बढ़ोतरी के साथ 20,194.06 अंक तक पहुंच गया था.

योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि सीआरआर में कटौती से दीर्घावधि में ब्याज दरें कम होंगी.

अहलूवालिया ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इस समय यह एक उचित कदम है क्यों कि अब अर्थव्यवस्था में जितनी गिरावट आनी थी वह करीब करीब पूरी हो चुकी है.’ बैंक आफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक एन शेषाद्री ने कहा कि ज्यादातर बैंक इस कटौती का लाभ ग्राहकों को देंगे. ऋण और जमा दोनों पर ब्याज दरों में कटौती होगी. उन्होंने कहा, ‘ब्याज में 0.25 प्रतिशत कमी संभावना है.’

केनरा बैंक के कार्यकारी निदेशक ए के गुप्ता ने कहा कि बैंक रिजर्व बैंक के इस कदम के बाद ब्याज दरों में कटौती पर विचार करेंगे.

इससे पहले रेपो दर में अप्रैल, 2012 में कटौती की गई थी. रेपो दर में कटौती तत्काल प्रभाव से लागू हो गई है.

सीआरआर में कटौती 9 फरवरी से लागू होगी.

क्या होता है रेपो रेट
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया जिस दर पर कम वक्त के लिए बैंकों को कर्ज देता है, उसे रेपो रेट कहते हैं. जिस दर पर रिजर्व बैंक को बैंकों से कर्ज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं. रेपो रेट घटने से बैंको को रिजर्व बैंक से छोटी अवधि के फंड पर घटी दरों पर कर्ज मिलेगा. इससे बैंक ब्याज दरें घटाकर सकते हैं, जो उनके कस्टमर्स के लिए फायदेमंद साबित होगा.

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सीआरआर घटाने से क्या मिलेगा लाभ
बैंक रेट वह रेट है, जिस पर आरबीआई लंबी अवधि के लिए बैंको को उधार देता है. कैश रिजर्व रेशो के रेट के हिसाब से बैंक अपनी कुल जमा और देनदारियों का कुछ फीसदी हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखते हैं. CRR में कटौती से मार्केट में 18000 करोड़ रुपये आएंगे. इससे इकॉनमी में थोड़ी तेजी आएगी.

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