रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को ब्याज दरों में किसी तरह की कटौती का ऐलान नहीं किया. बैंक की मौद्रिक नीति समीक्षा में उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया. रेपो रेट 8 फीसदी पर स्थिर रहा और सीआरआर भी 4 फीसदी पर ही रहा. राजन ने इनमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया. हालांकि उन पर सरकार तथा उद्योगों का बहुत दबाव था कि वे ब्याज दरों में कटौती करें.
दरअसल रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया मुद्रास्फीति नियंत्रण के नाम पर ब्याज दरों में कटौती से बचता रहा है. उसका कहना था कि अगर ब्याज दरें घटाई जाएंगी तो अर्थव्यवस्था में धन का प्रवाह बढ़ेगा और फिर महंगाई भी बढ़ेगी. इस कारण से लोगों को महंगी दरों पर लोन लेना पड़ा जिसका नतीजा बैंकों को भी भुगतना पड़ा. बड़े पैमाने पर लेनदार लोन चुकाने में डिफॉल्ट करने लगे और बैंकों पर बढ़ते एनपीए का खतरा मंडराने लगा.
रिजर्व बैंक के इस संबंध में कड़े रुख के कारण बाजार में कटौती की कोई उम्मीद नहीं थी और मंगलवार की सुबह शेयर बाजार गिर गए. सुबह सेंसेक्स 100 अंक गिर गया था. बाद में यह संभला लेकिन पॉलिसी की घोषणा के बाद फिर 100 अंक से ज्यादा गिर गया.
अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए सरकार चाहती है कि ब्याज दरें कम हों ताकि पूंजी लागत घटे. पिछली सरकार और वर्तमान सरकार ने भी इसके लिए दबाव बनाया. सरकार का तर्क था कि महंगाई घट गई है लिहाजा ब्याज दरें भी घटें. लेकिन ज्यादातर उद्योगपतियों का मानना था कि बैंक ब्याज दरों में कटौती नहीं करेगा. उनका मानना था कि बैंक अगले साल की समीक्षा में यह कदम उठाएगा.
समझा जाता है कि मार्च 2015 में बैंक ब्याज दरों में कटौती करेगा जब उसे इस बात का विश्वास हो जाएगा कि महंगाई वाकई घट गई है.