रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने बैंक की सभी नीतिगत दरों को बरकरार रखने का ऐलान किया है. मंगलवार को चौथे द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का खतरा बढ़ा है. आरबीआई ने रेपो रेट को 8 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट को 7 फीसदी पर बरकरार रखा है. नीतिगत घोषणाओं का यह लगातार चौथा मौका है, जिसमें आरबीआई ने मुख्य दरों में कोई बदलवा नहीं किया है.
दूसरी ओर, उद्योग जगत अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए ब्याज दरें घटाने की मांग कर रहा है. रिजर्व बैंक ने आरक्षित नकदी अनुपात (सीआरआर) को 4 फीसदी पर बरकरार रखा है. सांविधिक नकदी अनुपात (एसएलआर) 22 प्रतिशत है.
गौरतलब है कि बैंकों के अपने पास जमा राशियों का सीआरआर के बराबर हिस्सा रिजर्व बैंक के पास रखना होता है, जिस पर उन्हें ब्याज नहीं मिलता. एसएलआर जमा राशियों का वह हिस्सा है जिसे बैंकों को सरकारी विशेष प्रकार की प्रतिभूतिभूतियों के रप में रखना अनिवार्य है.
राजन ने कहा कि आरबीआई जनधन योजना का स्वागत करती है. उन्होंने कहा, 'मैं केवाईसी (अपने ग्राहक को जानो) की गुणवत्ता के बारे में चिंतित नहीं हूं. चिंता उचित वित्तीय समावेश का लक्ष्य प्राप्त करने की है.' आरबीआई ने कहा कि हो सकता है पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पादन की वृद्धि दर में तेजी दूसरी और तीसरी तिमाही में बरकरार न रहे. राजन ने कहा कि तेल की कीमतों में गिरावट जैसे कई अपस्फीतिक कारक भी दिख रहे हैं.
चौथे द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के मुख्य अंश:
>> रेपो रेट 8 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 7 फीसदी पर बरकरार.
>> सीआरआर (4 फीसदी) में भी कोई बदलाव नहीं.
>> वित्त वर्ष 2015 में जीडीपी विकास दर 5.5 रहने का अनुमान.
>> वित्त वर्ष 2016 में विकास दर के 6.3 फीसदी रहने की संभावना.
>> साल 2016 तक महंगाई दर 6 फीसदी करने का लक्ष्य.
>> जनवरी-मार्च 2015 में महंगाई दर 8 फीसदी तक पहुंचने की आशंका.
>> भावी नीतिगत पहल मुद्रास्फीति के परिदृश्य से प्रभावित होगी.