रिजर्व बैंक ने कागज के नोट जल्दी खराब होने की बढ़ती समस्या को देखते हुये प्लास्टिक के नोट जारी करने की तैयारी जोरों से शुरू कर दी है. रिजर्व बैंक कोच्चि, मैसूर, जयपुर, भुवनेश्वर और शिमला में प्लास्टिक के नोट जारी किये जायेंगे. हालांकि, इसकी समयसीमा अभी तय नहीं की गई है. केन्द्रीय बैंक इन शहरों में चलन के लिये 10 रुपये के एक अरब नोट जारी करेगा.
रिजर्व बैंक गवर्नर डी. सुब्बाराव ने पिछले सप्ताह श्रीनगर में कश्मीर विश्वविद्यालय के बिजनेस स्कूल में अपने संबोधन में कहा था कि केन्द्रीय बैंक प्लास्टिक मुद्रा को चलन में लाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है.
रिजर्व बैंक को हर साल दो लाख करोड़ रुपये के गंदे अथवा कटे फटे नोट चलन से हटाने पड़ते हैं. औसतन प्रत्येक पांच में से एक नोट हर साल अर्थतंत्र से हटाना पड़ता है. रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च 2012 को समाप्त वित्त वर्ष में इस तरह के गंदे कटे फटे करीब 13 अरब नोट समाप्त किये गये.
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2011.12 की समाप्ति पर अर्थव्यवस्था में कुल मिलाकर 10.5 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. इस दौरान रिजर्व बैंक को 2.05 लाख करोड़ रुपये के खराब नोट चलन से हटाने पड़े.
रिजर्व बैंक ने इस समस्या के समाधान के लिये प्लास्टिक नोट की शुरुआत करने का फैसला किया है. बहरहाल, प्लास्टिक नोट का चलन इसके परीक्षण योजना की सफलता पर निर्भर करेगा. प्लास्टिक अथवा पॉलिमर के नोट का जीवन लंबा माना जा रहा है.
प्लास्टिक नोट की शुरुआत सबसे पहले आस्ट्रेलिया में हुई थी. इसके बाद सिंगापुर, कनाडा, न्यूजीलैंड, मलेशिया, वियतनाम, फिजी, ब्रुनेई, पापुआ न्यू गुयना और रोमानिया में यह पहले से ही चलन में है. ब्रिटेन भी इस पर विचार कर रहा है.