पंजाब नेशनल बैंक घोटाले को लेकर देश में मचे हंगामे के बीच पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. पटेल ने कहा है कि बैंकिंग सेक्टर में आए दिन सामने आ रही घोटालों की खबर से हमें भी दुख होता है. बैंकिंग सेक्टर के इन घोटालों को देखते हुए हमें भी गुस्सा आता है. उन्होंने कहा कि हम बैंकिंग सेक्टर को बचाने के लिए नीलकंठ बनकर जहर पीने को भी तैयार हैं.
दरअसल पिछले कई दिनों से पीएनबी फ्रॉड को लेकर आरबीआई की आलोचना हो रही थी. इसमें आरबीआई की तरफ से कुछ कड़ा कदम न उठाए जाने को लेकर सवाल उठाया जा रहा था. इस पर आरबीआई गवर्नर ने कहा कि आरबीआई इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए हर जगह पर मौजूद नहीं रह सकता है.
उन्होंने कहा कि कई कारोबारी हैं, जो बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से देश को लूटने में लगे हुए हैं. इससे देश का नुकसान हो रहा है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि बैंकिंग सेक्टर को इस स्थिति से बाहर निकालने के लिए हम (आरबीआई) हमेशा तैयार रहेंगे. उन्होंने कहा कि अगर हमें 'नीलकंठ' बनकर सेक्टर को बचाने के लिए जहर भी पीना पड़ेगा, तो हम इसके लिए तैयार रहेंगे. हम अपना फर्ज निभाते रहेंगे.
बता दें कि 12400 करोड़ रुपये का पीएनबी घेाटाला सामने आने के बाद भारतीय रिजर्व बैंक लगातार कार्रवाई कर रहा है. उर्जित पटेल के बयान से पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक ने बड़ा एक्शन लिया है. आरबीआई ने बैंकों को लेटर ऑफ इंटेंट जारी करने की सुविधा को खत्म कर दिया है. इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने लेटर ऑफ कंफर्ट (LoC) को भी खत्म कर दिया है. इन दोनों इंस्ट्रूमेंट का इस्तेमाल बैंक अपने ग्राहकों को गारंटी देते थे. इसका सबसे ज्यादा असर हीरा और ज्वैलरी का बड़े स्तर पर आयात करने वाले कारोबारियों पर पड़ेगा.
केंद्रीय बैंक की तरफ से यह कार्रवाई पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के बाद की गई है. इस फैसले के जरिये आरबीआई बैंकिंग व्यवस्था में सामने आ रही खामियों को दूर करने की कोशिश कर रहा है.
LoU और LoC की व्यवस्था खत्म किए जाने के बाद कारोबारियों को बैंक लेटर ऑफ क्रेडिट और गारंटी देते रह सकते हैं. यह व्यवस्था सुचारू रूप से चलती रहेगी. यह व्यवस्था अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक है. ये व्यवस्था क्रेडिट जारी करने वाले का पक्ष मजबूत करता है.
दरअसल जब भी एक बैंक किसी कारोबारी को पैसे देने के लिए गारंटी और LoCs जारी करते हैं, तो इस व्यवस्था के तहत रिसीविंग बैंक भी अपने स्तर पर जांच करता है. इस व्यवस्था में गारंटी रिसीव करने वाला बैंक अपने स्तर पर यह देखता है कि जिसे वह पैसे देने वाला है, उसकी क्रेडिट हिस्ट्री कितनी मजबूत और कमजोर है. इससे LoC जारी करने वाले बैंक की जिम्मेदारी काफी कम हो जाती है.
वहीं, LoU और लेटर ऑफ कंफर्ट की बात करें, तो इसमें कर्ज देने वाले बैंक इन्हें जारी करने वाले बैंक की गारंटी के आधार पर ही पैसा दे देते हैं. इसमें वह अपने स्तर पर किसी भी तरह की जांच नहीं करते हैं. क्योंकि LoU में एक तरह से इसे जारी करने वाला बैंक गारंटी देता है कि ग्राहक के डिफॉल्ट होने पर वह भुगतान कर देगा.
बैंकरों का कहना है कि लेटर ऑफ क्रेडिट ज्यादा सुरक्षित होता है. क्योंकि इस पर आयातक की जानकारी, जारी करने की तारीख, एक्सपायरी डेट और जिस सामान को खरीदने के लिए यह लिया जा रहा है, उसकी जानकारी भी होती है. लेकिन LoU के मामले में ऐसा नहीं होता है. इस वजह से इनमें गड़बड़ी का पता लगाना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता है.
LoU क्या है?
लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) एक तरह से बैंक गारंटी होती है. यह आयात के लिए ओवरसीज भुगतान करने के लिए जारी किया जाता है. LoU जारी करने वाला बैंक गारंटर बन जाता है और वह अपने क्लाइंट के लोन पर प्रिंसिपल अमाउंट और उस पर लगने वाले ब्याज को बेशर्त भुगतान करना स्वीकार करता है.
जब LoU जारी किया जाता है तो इसमें इसे जारी करने वाला बैंक, स्वीकार करने वाला बैंक, आयातक और विदेश में इससे लाभान्वित होने वाली कंपनी शामिल होती है. पीएनबी के मामले में फर्जी LoU हासिल किए गए और इन्हीं के आधार पर एक्सिस और इलाहाबाद जैसे बैंकों की विदेशी शाखाओं से लोन लिए गए थे.