भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को नीतिगत ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया. राजन देखना चाहते हैं कि खाद्य मुद्रास्फीति पर हाल की बेमौसम बारिश का क्या असर रहता है साथ ही वह यह भी चाहते हैं कि रेपो दर में पिछली कटौतियों का फायदा उपभोक्ताओं को दें.
रेपो दर वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को तात्कालिक आवश्यकता के लिए नकदी उधार देता है. रेपो दर इस समय 7.5 प्रतिशत है. रिजर्व बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कोई बदलाव नहीं किया और यह चार प्रतिशत बना रहेगा.
सीआरआर बैंकों के पास जमा राशि का वह हिस्सा है, जो उन्हें रिजर्व बैंक के पास रखना होता है और इस पर रिजर्व बैंक उन्हें ब्याज नहीं देता . गवर्नर राजन ने 2015-16 की मौद्रिक नीति की मंगलवार को पहली द्वैमासिक समीक्षा में कहा ऋण की मांग कम होने और पहले ही दो बार नीतिगत दरों में कटौती किये जाने के बावजूद उसका कर्ज की दर पर असर अभी नहीं दिखा है.
गवर्नर राजन ने कहा, आरबीआई की पहल का असर आगे नहीं नहीं पहुंचा है (अर्थात बैंकों ने ऋण की दरें नहीं घटायी हैं). इसके अलावा आने वाले आंकड़ों से मुद्रास्फीति के जोखिम संतुलन की स्थिति और स्पष्ट होने की उम्मीद है. इसलिए रिजर्व बैंक में यथास्थिति बरकरार रखी है.
बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि के उत्तर और पश्चिम भारत में रबी की तैयार फसलों पर असर से खाद्य मूल्य में बढ़ोतरी की आशंका बढ़ गई है. राजन ने इससे पहले समीक्षा बैठकों से अलग जनवरी और मार्च में 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती कर बाजार को चौंका दिया था.
मंगलवार को नीतिगत दरें अपरिवर्तित रखते हुए उन्होंने उदार नीतिगत पहलों के प्रति रिवर्ज बैंक की प्रतिबद्धता जताई, लेकिन कहा कि नीतिगत पहले आगामी आंकड़ों पर निर्भर करेंगी.
उन्होंने कहा कि बैंकों द्वारा ब्याज दरों में कटौती उनकी शीर्ष प्राथमिकता होगी. उन्होंने कहा कि पारेषण के अलावा खाद्य मूल्य जैसे अन्य तत्वों की निगरानी होगी और हाल में हुई बेमौसम बारिश के असर पर भी कड़ी नजर रहेगी. उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक विस्फीतिक जोखिमों के प्रति सतर्क रहेगा. साथ ही उनका यह भी कहना है कि इस समय मुद्रास्फीति की गति रिजर्व बैंक के अनुमानों के मुताबिक ही है.