भारतीय शेयर बाजार में गिरावट और रुपये के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के साथ बढ़ती चिंताओं को दूर करने का प्रयास करते हुए रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि चीजें स्थिर होंगी. लोग भारत समेत अन्य देश को स्थिर उभरते बाजार के रूप में देखेंगे.
बुनियादी बातों पर ध्यान देने की जरूरत
राजन ने कहा कि उभरते बाजारों की मुद्राओं के मुकाबले रुपया मजबूत है लेकिन भारत पर भी कुछ वैश्विक चिंताओं का असर है. उन्होंने कहा कि उभरते बाजारों को इस समय अपने अर्थव्यवस्था की बुनियादी बातों पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्हें मुद्रास्फीति नीचे रखने, चालू खाते के घाटे को निम्न स्तर पर रखने का प्रयास करने और राजकोषीय लक्ष्यों को हासिल करने पर ध्यान देना चाहिए. राजन ने कहा कि निवेशकों को अपना धन हटाने में जल्दबाजी रहती है लेकिन वे वापस भी आते हैं.
चीन की चिंता बड़ी बात नहीं
रघुराम राजन ने कहा कि मौद्रिक नीति अकेले दुनिया को नहीं बदल सकती और सरकारों को विश्व अर्थव्यवस्था की दीर्घकालीन वृद्धि के लिए आधारभूत ड्राफ्ट तैयार करना चाहिए. उन्होंने चीन को लेकर चिंता को तवज्जो नहीं दी और कहा कि साम्यवादी देश के बारे में अच्छी चीज यह है कि वे अपनी आर्थिक समस्याओं के समाधान के लिए ताजा प्रयास करना जारी रखते हैं.
अभी बहुत कुछ करने की जरूरत
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की सालाना बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि दुनियाभर की सरकारों को यह एहसास करने की जरूरत है कि कई ऐसे अन्य उपाय हैं जिसके जरिए सुधारों और वृद्धि को गति दी जा सकती है. उन्होंने कहा, दुनियाभर में अच्छी खबर यह है कि हमने यह माना है कि मौद्रिक नीति अकेले दुनिया को बदलने नहीं जा रही और सुधारों के लिए और बहुत कुछ करने की जरूरत है.
बाजार की समस्या है, अर्थव्यवस्था की नहीं
वैश्विक वृद्धि को लेकर चिंता के बीच भारत और कुछ अन्य उभरते बाजारों में गिरावट पर रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि यह गिरावट वास्तव में बाजार की समस्या है, अर्थव्यवस्था की नहीं. राजन ने कहा कि हालांकि बाजार की समस्या वास्तविक अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचा सकती है.
चीन अपने मॉडल बदलता रहा है
चीन को लेकर चिंता के बारे में राजन ने कहा कि चीन अपने मॉडल बदलता रहा है. वित्तीय संकट से पहले के मॉडल ने सही तरीके से काम नहीं किया. विभिन्न देशों में आतंकवादी घटनाएं और युद्ध जैसी स्थिति के बीच हो रही डब्ल्यूईएफ की बैठक में रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि युद्ध को आर्थिक वृद्धि को गति देने के अवसर के रूप में नहीं देखना चाहिए.