भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कुछ और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक प्रमुखों के साथ बैठक की. इस बैठक में कमजोर बैंकों के लिए त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के नियमों, नकदी और एमएसएमई को ऋण के प्रवाह जैसे मुद्दों पर विचार विमर्श किया गया.
दास द्वारा पिछले मंगलवार को पदभार संभालने के बाद उनकी यह सरकारी बैंकों के प्रमुखों के साथ दूसरी बैठक है. इस बैठक में बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इलाहाबाद बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, इंडियन बैंक, सिंडिकेट बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक के प्रमुख शामिल हुए.
एक बैंक अधिकारी ने कहा कि यह एक सामान्य जानकारी लेने के लिए बुलाई गई बैठक थी. रिजर्व बैंक प्रत्येक बैंक की स्थिति के बारे में जानना चाहता है. बैठक में नकदी की स्थिति तथा एमएसएमई क्षेत्र को ऋण के प्रवाह जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई.
एक अन्य बैंक अधिकारी ने कहा कि दास और चार डिप्टी गवर्नरों ने इन बैंकों के साथ पीसीए ढांचे पर भी विचार किया. सार्वजनिक क्षेत्र के 21 बैंकों में से 11 पीसीए ढांचे के तहत हैं. इसके तहत कमजोर बैंकों पर कर्ज देने और अन्य अंकुश लगाए जाते हैं.
गौरतलब है कि शक्तिकांत दास ने नियुक्ति के बाद बैंक के केंद्रीय निदेशक मंडल को भरोसा दिया है कि वह जल्द समाधान के लिये संचालन और पूंजी प्रबंधन पर हुई चर्चा को लेकर सरकार के साथ विचार-विमर्श करेंगे. सूत्रों की मानें तो बैठक की अध्यक्षता कर रहे दास ने आरबीआई में शीर्ष स्तर पर परेशानी का सबब बन चुके मुद्दों समेत बातचीत के सभी बिंदुओं को सुना.
समझा जा रहा है कि रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध 9.6 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त पूंजी के हस्तांतरण को लेकर सरकार से विवाद चल रहा है. इसके अलावा त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की रूपरेखा के अंतर्गत रखे गये बैंकों पर कड़े प्रतिबंधों पर दोनों पक्षों में गतिरोध है. आरबीआई ने 21 सरकारी बैंकों में से 11 को पीसीए के तहत रखा है.