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आज आर्थिक नीति की समीक्षा करेगा आरबीआई, EMI कम होने की उम्मीद

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) मंगलवार को आर्थिक नीति की समीक्षा करेगा. ऐसा माना जा रहा है कि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. वहीं, इस समीक्षा में आम आदमी की ईएमआई कम होने की उम्मीद है. रिजर्व बैंक 25 बेसिस प्वॉइंट्स तक रेपो रेट घटा सकता है.

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रघुराम राजन
रघुराम राजन

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) मंगलवार को आर्थिक नीति की समीक्षा करेगा. ऐसा माना जा रहा है कि आरबीआई ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. वहीं, इस समीक्षा में आम आदमी की ईएमआई कम होने की उम्मीद है. रिजर्व बैंक 25 बेसिस प्वॉइंट्स तक रेपो रेट घटा सकता है.

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वित्त मंत्री अरुण जेटली और मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने भी रिजर्व बैंक से मौद्रिक नीति में नरमी की दिशा में कदम उठाने की उम्मीद की है. फिक्की और एसोचैम जैसे प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडलों ने भी ब्याज दरों में नरमी लाने पर जोर दिया है. फिक्की ने बैंचमार्क ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत कटौती की वकालत की है.

फिक्की अध्यक्ष ज्योत्सना सूरी ने कहा है, 'मुद्रास्फीति काफी कुछ नियंत्रण में है, हमें उम्मीद है कि केन्द्रीय बैंक रेपो दर में कम से कम 0.50 प्रतिशत कटौती करेगा ताकि निजी निवेश और आवास, आटोमोबाइल और टिकाऊ उपभोक्ता सामानों की मांग में वृद्धि हो सके.' उन्होंने कहा, 'सीआरआर में 0.50 प्रतिशत कटौती की भी जरूरत है, इससे सिस्टम में अतिरिक्त नकदी उपलब्ध होगी और बैंक प्रभावी ढंग से ब्याज दरों में कमी ला सकेंगे. फिक्की और एसोचैम जैसे प्रमुख उद्योग मंडलों ने भी ब्याज दरों में कमी की वकालत की है.

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आपको बता दें कि अर्थव्यवस्था में रियायत देने के लिए रेपो रेट को मौजूदा 7.5 फीसदी से कम करने के लिए रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने 4 शर्ते रखीं थी. इसके साथ ही रघुराम राजन ने यह भी कहा था कि ब्याज दरों पर किसी तरह का फैसला लेने के लिए वह अमेरिका में मौद्रिक नीति पर नजर रखेंगे. गवर्नर रघुराम राजन की 4 शर्तें:

1. कॉमर्शियल बैंक अपने ब्याज दरों में कटौती करें.
2. खाद्य महंगाई में संतुलन कायम हो.
3. उर्जा और भूमि अधिग्रहण में बाधाओं को दूर करने के लिए सरकार कारगर पहल करे.
4. सरकार सब्सिडी खर्च को कम करते हुए निवेश करे.

वहीं, रिजर्व बैंक जनवरी और मार्च 2015 में नीतिगत ब्याज दर रेपो में 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती कर चुका है. हालांकि, 7 अप्रैल को चालू वित्त वर्ष की पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने रेपो में कोई बदलाव नहीं किया.

भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के चेयरमैन टी.एम. भसीन ने कहा, 'थोक मुद्रास्फीति लगातार शून्य से नीचे बनी हुई है. ऐसे में नीतिगत दर पर गौर कर इसमें सुधार की संभावना बनी है.'

यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के प्रबंध निदेशक और सीईओ पी. श्रीनिवास ने भी कहा, 'खुदरा मुद्रास्फीति इस समय बेहतर स्थिति में है, इसलिए मुझे नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत कटौती की उम्मीद है. यदि वह इस समय दर में कटौती नहीं करते हैं तो फिर बाद में अल-नीनो का असर पड़ने पर उनके लिए ऐसा करना मुश्किल होगा. आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहन देने के लिए दर में कटौती की जरूरत है.'

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भसीन ने कहा, 'जहां तक बैंकरों की बात है, उनके लिए सबसे बेहतर नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती होगी, इससे उन्हें अग्रिम पर ब्याज दरों में कमी लाने में सुविधा मिलेगी.' भसीन ने कहते हैं, 'हमारे पास बैंकिंग सिस्टम में अतिरिक्त नकदी उपलब्ध है, कर्ज का उठाव ज्यादा नहीं रहा है. इसलिए रेपो में कमी से बैंकों को ज्यादा फायदा मिलने वाला नहीं है, क्योंकि इस समय हम रिजर्व बैंक से नकदी नहीं उठा रहे हैं. ऐसे में सीआरआर में कटौती फायदेमंद होगी. हम सीआरआर में 0.5 प्रतिशत कटौती का आग्रह करेंगे, इससे बैंकिंग सिस्टम में 40,000 करोड़ रुपये की नकदी उपलब्ध होगी.'

रेपो दर यानी जिस दर पर बैंक अपनी फौरी जरूरत के लिये रिजर्व बैंक से नकदी लेते हैं वह इस समय 7.5 प्रतिशत है जबकि नकद आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर नकदी का वह हिस्सा जिसे बैंकों को रिजर्व बैंक के पास रखना होता है, वह चार प्रतिशत है.

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