scorecardresearch
 

RBI के ब्याज दर बढ़ाने से आपकी जेब पर बढ़ेगा बोझ, ऐसे बढ़ सकती है आपकी EMI

भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी है. इस बढ़ोतरी के बाद बैंक भी कर्ज की ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर सकते हैं. इससे आपकी हर महीने जाने वाली ईएमआई बढ़ जाएगी.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीर

Advertisement

भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी कर दी है. बुधवार को हुई इस बढ़ोतरी का बोझ बैंक ग्राहकों पर डाल सकते हैं. ऐसे में इसका सबसे ज्यादा असर उन लोगों पर पड़ेगा, जिन्होंने बैंकों से होम लोन, पर्सनल लोन या फिर ऑटो लोन लिया है. इससे आपकी हर महीने की किस्त में इजाफा हो जाएगा.

ऐसे समझें?

मान लीजिए आप ने 20 लाख रुपये का होम लोन 20 साल के लिया है. यह लोन आपको 8.4 फीसदी की ब्याज दर पर मिला है. इसके लिए आप अभी हर महीने 17,230 रुपये की ईएमआई भरते हैं.

अगर आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने के बाद आपका बैंक भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने का फैसला लेता है, तो आपकी ब्याज दर भी बढ़ जाएगी. अगर बैंक ने 25 बेसिस पॉइंट के हिसाब से बढ़ोतरी की, तो उपरोक्त उदाहरण के हिसाब से आपकी ब्याज दर 8.65 फीसदी हो जाएगी.

Advertisement

जैसे ही ये नई ब्याज दरें लागू हो जाएंगी. आपको हर महीने 17,230 की किश्त के बजाय 17,547 रुपये देने होंगे. इस तरह आपको हर महीने 317 रुपये ज्यादा चुकाने होंगे. लोन की रकम जितनी ज्यादा होगी, ईएमआई का बोझ उतना ही ज्यादा बढ़ेगा.

बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है. इसके बाद माना जा रहा है कि बैंक भी ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी करेंगे.

क्या होता है रेपो रेट?

रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर बैंक आरबीआई से लोन उठाते हैं. बैंकों के पास जब भी फंड की कमी होती है, तो वे इसकी पूर्ति करने की खातिर केंद्रीय बैंक से पैसे लेते हैं. आरबीआई बैंकों को जो भी फंड देता है, वह एक फिक्स्ड रेट पर दिया जाता है. इसी रेट को रेपो रेट कहा जाता है.

आरबीआई रेपो रेट में बढ़ोत्तरी इसलिए करता है ताकि देश में महंगाई को नियंत्रण में रखा जा सके. इसके लिए जब भी रेपो रेट बढ़ता है, तो ऐसे में बैंक आरबीआई से कम कर्ज लेते हैं. इससे इकोनॉमी में मनी सप्लाई में कमी आती है. इससे महंगाई पर नियंत्रण पाने में मदद म‍िलती है.

आप पर ऐसे पड़ता है असर

जब भी रेपो रेट बढ़ता है, तो इससे बैंकों के लिए आरबीआई से फंड लेना महंगा हो जाता है. इस दबाव को बैंक ग्राहकों तक पहुंचाते हैं. इसकी वजह से आपको मिलने वाला कर्ज महंगा हो  जाता है. जब भी यह रेट कम होता है, तो बैंकों को ज्यादा कर्ज देने का मौका मिलता है और वे आप से कम ब्याज वसूलते हैं.

Advertisement
Advertisement