मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जनता को अपनी तरफ से पहला तोहफा देते हुए रिजर्व बैंक ने एक बार फिर रेपो रेट में कटौती की है. आरबीआई की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती हुई है. इसके अलावा रिजर्व बैंक ने एनईएफटी जैसे मनी ट्रांसफर सुविधा में अपनी तरफ से लगने वाले चार्ज में कटौती कर भी बड़ी राहत दी है. रिजर्व बैंक ने एटीएम निकासी पर लगने वाले फीस की भी समीक्षा करने का भी निर्णय लिया है. आइए जानते है, रिजर्व बैंक के मौद्रिक नीति समीक्षा की पांच प्रमुख बातें क्या हैं.
1. रेपो रेट में कटौती से ईएमआई में राहत
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) द्वारा चौथाई फीसदी कटौती के बाद अब नई रेपो रेट 5.75% हो गई है. आरबीआई की पिछली दो बैठकों में भी एमपीसी रेपो रेट में क्रमश: 0.25 फीसदी की कटौती कर चुकी है. यानी जून में लगातार तीसरी बार केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट घटाई है. इसका फायदा अगर पूरी तरह बैंकों ने ग्राहकों तक पहुंचाया तो इससे लोगों को होम लोन, ऑटो लोन आदि के ईएमआई में अच्छी राहत मिल सकती है.
2. NEFT और RTGS के चार्ज में कटौती
अभी तक बैंक खातों में फंड ट्रांसफर के लिए रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट सिस्टम (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) सिस्टम के लिए रिजर्व बैंक बैंकों से एक न्यूनतम चार्ज लेता था, लेकिन अब बैंक ने अपनी तरफ से लगने वाला यह चार्ज खत्म कर दिया है. हालांकि बैंक इसके बाद अपनी तरफ से ग्राहकों से चार्ज लेते हैं. इसका फायदा बैंक अपने ग्राहकों को देंगे और इस बारे में एक हफ्ते के भीतर निर्देश आ जाएगा.
3. एटीएम चार्ज हटाने पर विचार के लिए कमिटी
देश में नकद निकासी के लिए एटीएम का इस्तेमाल लगातार बढ़ता जा रहा है. इसलिए मूल बैंक या अन्य बैंकों के एटीएम से नकद निकासी पर लगने वाले चार्ज को हटाने की मांग की जाती रही है. इसे देखते हुए रिजर्व बैंक ने सभी पक्षों को शामिल कर एक कमिटी बनाने का निर्णय लिया है जो एटीएम के सभी चार्ज और फीस पर विचार करेगा. यह कमिटी दो महीने के भीतर अपनी सिफारिशें देंगी.
4. ग्लोबल इकोनॉमी हुई पस्त
रिजर्व बैंक की एमपीसी ने कहा है कि व्यापार और मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में सुस्ती की वजह से वैश्विक आर्थिक गतिविधियां अब फिर से पस्त पड़ने लगी हैं, जबकि कुछ समय पहले तक इनमें कुछ सुधार देखा जा रहा था. अमेरिका में पहली तिमाही में आर्थिक गतिविधि कुछ मजबूत हुई है, लेकिन यूरोप में यह कमजोर बना हुई है.
5. देश में अनुमान से कम GDP बढ़त
रिजर्व बैंक ने कहा है कि वर्ष 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में बढ़त 7 फीसदी के अनुमान की जगह सिर्फ 6.8 फीसदी हुई है. इसके पहले रिजर्व बैंक ने GDP में 7 फीसदी बढ़त का अनुमान जारी किया था. रिजर्व बैंक का कहना है निजी निवेश खर्च में गिरावट और निर्यात की गति सुस्त रहने की वजह से 2018-19 की चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधि में काफी तेजी से गिरावट आई है और इस तिमाही में जीडीपी बढ़त सिर्फ 5.8 फीसदी रही.