बाजार की इच्छा से बिना प्रभावित हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य नीतिगत दरों में कमी नहीं की. हालांकि बैंक ने कहा कि अब उसका ध्यान विकास पर रहेगा, जिसपर पिछले कुछ महीने में काफी बुरा असर पड़ा है.
आरबीआई ने मध्य तिमाही समीक्षा पर अपने बयान में कहा, 'महंगाई दर में गिरावट को देखते हुए मौद्रिक नीति को अपना ध्यान बदलकर इस वक्त के बाद विकास के ऊपर लगाना होगा.' रिजर्व बैंक ने कहा, 'कुल मिलाकर हाल में महंगाई की स्थिति और भविष्य की सम्भावना से चौथी तिमाही में नीतिगत नरमी के हमारे अक्टूबर के अनुमान की पुष्टि हुई है. हालांकि महंगाई की चुनौती बनी हुई है और इसी के अनुरूप भले ही नीति का झुकाव अब विकास की ओर हो गया है, इन चुनौतियों के प्रति संवेदनशीलता बनी रहेगी.' इसे देखते हुए आरबीआई ने बैंक दर नौ फीसदी पर, रेपो दर आठ फीसदी पर, रिवर्स रेपो दर सात फीसदी पर, नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) 4.25 फीसदी पर और सांविधिक तरलता अनुपात 23 फीसदी पर बरकरार रखा.
बैंक ने 30 अक्टूबर को दूसरी तिमाही की मौद्रिक नीति समीक्षा घोषणा में सीआरआर में 25 आधार अंकों की कटौती की थी, लेकिन रेपो और रिवर्स रेपो दर में कोई कमी नहीं की थी. रेपो दर वह दर है, जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को कर्ज देता है. रिवर्स रेपो दर वह दर है, जिस पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों से कर्ज लेता है.
पिछले सप्ताह जारी सरकारी आंकड़े के मुताबिक थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर नवम्बर में 10 महीने के निचले स्तर 7.24 फीसदी रही, जो इससे पिछले महीने 4.45 फीसदी थी. थोक मूल्य पर आधारित खाद्य महंगाई दर हालांकि नवम्बर में बढ़कर 8.50 फीसदी दर्ज की गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 8.32 फीसदी थी. बैंक ने कहा, 'नए संयुक्त (ग्रामीण और शहरी) उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में नवम्बर में वृद्धि दर्ज की गई, जिससे खाद्य महंगाई के दबाव के बने रहने का पता चलता है, खासकर सब्जी, अनाजों, दलहन और तेल तथा वसा की कीमतों में.' देश की आर्थिक विकास दर हालांकि मौजूदा कारोबारी साल की दूसरी तिमाही में 5.3 फीसदी रही, जो पहली तिमाही की दर 5.5 फीसदी से कुछ कम ही है. आरबीआई ने भविष्य के अनुमान जताते हुए कहा कि यदि महंगाई के दबाव में कमी आती रही, तो चौथी तिमाही में दरों में कटौती हो सकती है.