केन्द्रीय रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2017-18 की पहली मौद्रिक समीक्षा नीति पेश करते हुए कहा कि सातवें वेतन आयोग द्वारा प्रस्तावित 8-24 फीसदी हाउस रेंट अलाउंस का असर कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (महंगाई) पर पड़ेगा. आरबीआई के मुताबिक यह असर सीधा और तुरंत पड़ेगा और हाउसिंग के क्षेत्र में देखने को मिलेगा.
आरबीआई का आकलन है कि वेतन आयोग द्वारा प्रस्तावित दरों पर भत्ते को चालू वित्त वर्ष की शुरुआत से मान्य करने के बाद ज्यादातर राज्य भी अपने कर्मचारियों को इसी दर पर भत्ता देना शुरू कर देंगे. इसके चलते वित्त वर्ष के दौरान महंगाई दर उम्मीद से 1 से 1.5 फीसदी अधिक रह सकती है.
आरबीआई का मानना है कि कर्मचारियों के एचआरए में बढ़ोत्तरी से आने वाली महंगाई का असर अर्थव्यवस्था पर 1.5 से 2 साल तक जारी रह सकता है. वहीं भत्ता लागू होने के बाद पहली 3-4 तिमाही के दौरान महंगाई उच्चतम स्तर पर रहने के आसार हैं.
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सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को मंजूरी मिले लंबा वक्त हो चुका है लेकिन केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को भत्ते के मामले में अभी भी मोदी सरकार के फैसले का इंतजार है. कर्मचारियों के भत्तों में इजाफा करने के लिए मोदी सरकार की बनाई लवासा कमेटी ने रिपोर्ट जमा करने की 22 फरवरी की डेडलाइन बीत चुकी है.
मीडिया रिपोर्ट्स के कयाल लग रहा था कि वित्त सचिव अशोक लवासा की अध्यक्षता में बनी कमेटी ऑन अलाउंसेस मार्च के अंतिम सप्ताह में अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंप देगी लेकिन फिलहाल ऐसा नहीं हो सका है. इन कयासों के चलते माना जा रहा था कि नए वित्त वर्ष की शुरुआत में केन्द्र सरकार कर्मचारियों के भत्ते पर अहम फैसला ले लेगी और उन्हें अप्रैल 2017 से नए दर से भत्ता मिलना शुरू हो जाएगा.
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वेतन आयोग के इजाफे से सरकारी कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में थोड़ा इजाफा हुआ क्योंकि उनकी मासिक आय में आधे से अधिक का फायदा भत्ते के तौर पर मिलने वाली सैलरी में होता है. उन्हें एचआरए के तहत मिलने वाला पैसा भत्ते में जुड़ता है और यह भत्ता उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा होता है.
इस भत्ते की फूटी पाई अभी सातवें वेतन आयोग के लागू होने के बाद केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को नहीं दी गई है. दरअसल सातवें वेतन आयोग से कर्मचारियों के एलाउंस में वृद्धि को देने की प्रक्रिया को निर्धारित करने के लिए प्रधानमंत्री ने हाई लेवल कमेटी का गठन किया है.