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दिसंबर में भी नीतिगत दरें नहीं घटाएगा आरबीआई : नोमुरा

भारतीय रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में हुई मौद्रिक नीति समिति में नीतिगत दरों में कोई कटौती नहीं की है. हालांकि दिसंबर में भी आरबीआई की तरफ से रेट किए जाने की संभावना काफी कम है.

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आरबीआई
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भारतीय रिजर्व बैंक ने अक्टूबर में हुई मौद्रिक नीति समिति में नीतिगत दरों में कोई कटौती नहीं की है. अब दिसंबर में भी आरबीआई की तरफ से रेट किए जाने की संभावना काफी कम है. जापान की वित्तीय सेवा फर्म नोमुरा ने यह अनुमान अक्टूबर में हुई मीटिंग के मिनट्स के आधार पर लगाया है.

बेहतर नहीं रहे जीडीपी के आंकड़े

नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि पहली तिमाही में जीडीपी के आंकड़े बेहतर स्थि‍ति में नहीं रहे. अक्टूबर में खुदरा महंगाई भी 3 फीसदी रह सकती है. हालांकि महंगाई के 4 फीसदी से ज्यादा रहने की आशंका है. ऐसे में आरबीआई की तरफ से दिसंबर में भी नीतिगत दरों में कोई बदलाव करने की आशंका ना के बराबर है.

वृद्ध‍ि दर पर होगा निर्भर

नोमुरा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अक्टूबर में हुई मौद्रिक नीति समिति की मीटिंग मिनट्स को देखें, तो इससे दिसंबर में नीतिगत दरों में बदलाव नजर आना मुश्किल है. हालांकि आरबीआई तब ही रेट कट पर विचार कर सकता है, अगर  दूसरी तिमाही में वृद्धि दर चौंकाने वाली साबित हो.

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महंगाई रह सकती है 4 फीसदी

नोमुरा ने कहा है कि महंगाई के चार फीसदी से ऊपर रहने का अनुमान है. वहीं, राजकोषीय गिरावट बढ़ने की भी आशंका है. इनकी वजह से रेट कट की संभावना नजर नहीं आ रही है. मौद्रिक नीति समिति की बैठक 6 दिसंबर को होनी है. इसमें आरबीआई रेट कट को लेकर फैसला लेगा.

रेट बढ़ाने का दिया सुझाव

समिति के सदस्य रविंद्र ढोल‍किया और माइकल पात्रा रेट कट की पैरवी करते रहेंगे, लेकिन अन्य 4 सदस्यों की राय अर्थव्यवस्था के विकास के आंकड़ों पर निर्भर होगी. नोमुरा ने इसके साथ ही अपनी रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया है कि अगर आरबीआई के पास रेट बढ़ाने की संभावना है, तो वह जरूर बढ़ाए.

30 नवंबर तक आएंगे आंकड़ें

सितंबर तिमाही के जीडीपी के आंकड़े 30 नवंबर तक आएंगे. नोमुरा ने कहा कि ये आंकड़े काफी अहम होंगे. क्योंकि पहली तिमाही में जीडीपी आंकड़े निचले बिंदु पर पहुंच गए हैं. ऐसे में इन पर सबकी नजर रहेगी.

भारतीय रिजर्व बैंक ने 4 अक्टूबर को हुई मौद्रिक नीति समिति की बैठक के आंकड़े 19 तारीख को जारी किए हैं. इसके मुताबिक रविंद्र ढोलकिया 25 बीपीएस रेट कट की पैरवी करने में जुटे थे. बल्कि अन्य नीतिगत दरों में कोई बदलाव न करने के पक्ष में थे.

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