भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों और फाइनेंशियल संस्थानों को आदेश दिया कि वे कर्ज में डूबी हुई आईएलएंडएस और उसकी सहयोगी कंपनियों पर अपने बकाया कर्ज की जानकारी दें.
इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने कहा कि संस्थानों द्वारा बकाया कर्ज की वसूली के लिए किए गए वास्तविक प्रावधान के बारे में भी बताएं. आरबीआई ने यह सर्कुलर नेशनल कंपनी अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के 25 फरवरी को दिए गए आदेश के बाद जारी किया है. NCLAT के आदेश में कहा गया था कि ट्रिब्यूनल की पूर्व अनुमति के बिना कोई भी वित्तीय संस्थान 'इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंसियल सर्विसेज लि.' या उसकी सहयोगी कंपनियों के खाते को एनपीए घोषित ना करें.
हालांकि आरबीआई ने NCLAT के आदेश पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि बैंकों को आईएलएंडएफएस और उसकी कंपनियों के खातों को एनपीए घोषित करना चाहिए. NCLAT में सुनवाई के दौरान आरबीआई के वकील गोपाल जैन ने कहा कि बैंकों के खातों में सही ऑडिट, निष्पक्ष आकलन करने के लिए महत्वपूर्ण है. इस आकलन के बाद ऐसे खातों पर शुरुआती कार्रवाई की जा सकती है. रिजर्व बैंक ने 19 मार्च को इस संबंध में समीक्षा याचिका दायर की थी. इस याचिका पर निर्णय अभी लंबित है. हालांकि न्यायाधिकरण ने आरबीआई की मांग पर कारपोर्रेट कार्य मंत्रालय के विचार मांगे हैं.
बता दें कि आरबीआई ने कोर्ट में कहा था कि यह एक प्रक्रिया है, जिसका सभी बैंकों को पालन करना होता है. इस प्रक्रिया के तहत 90 दिनों तक कर्ज की किश्तों का भुगतान नहीं होने पर उस खाते या कर्ज को एनपीए घोषित कर दिया जाता है.
कर्ज में फंसी है आईएलएंडएस
दरअसल, आईएलएंडएस कर्ज में फंसी हुई है. आईएलएंडएस के पूरे समूह की 348 कंपनियों पर कुल 94,000 करोड़ रुपये का कर्ज है जिसमें से 54,000 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज बैंकों से लिया हुआ है. कंपनी पिछले साल अगस्त से लिए गए धन की वापसी में डिफॉल्ट हो रही है. अक्टूबर में सरकार ने कंपनी के निदेशक मंडल को हटाकर बैंकर उदय कोटक की अध्यक्षता में नया निदेशक मंडल नियुक्त कर दिया.