भारत में राजनीतिक दलों की किसानों की कर्ज माफी के दांव पर एक बार फिर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि कर्ज माफी की बजाय कृषि क्षेत्र के संकट को दूर करने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.
इसके अलावा राजन ने जोर देकर कहा कि रोजगार सृजन किया जाए. राजन ने अपनी पुस्तक ‘द थर्ड पिलर-हाउ मार्केट्स एंड स्टेट लीव द कम्युनिटी बिहाइंड’ के विमोचन के मौके पर कहा कि पहले हमें यह समझने की जरूरत है कि कृषि क्षेत्र में काफी परेशानी है. व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि कृषि कर्ज माफी इसका जवाब नहीं है. लेकिन इसके कुछ और जवाब भी हैं. रघुराम राजन ने कहा कि जिस एक और क्षेत्र पर ध्यान दिया जाना चाहिए, वह है रोजगार सृजन है. आप जो भी उपाय करें, लोगों को उसमें रोजगार पाने में मदद मिलनी चाहिए. इनसे रोजगार के रास्ते में अड़चन पैदा नहीं होनी चाहिए.
इससे पहले एक इंटरव्यू में रघुराम राजन ने भारत की 7 फीसदी की आर्थिक विकास दर के आंकड़े पर संदेह जताया है. रघुराम राजन ने एक इंटरव्यू में कहा कि जब देश में नौकरियों का सृजन नहीं हो रहा है, तब ऐसे में 7 फीसदी की वृद्धि दर का आंकड़ा संदेह के घेरे में आ जाता है. संदेह के इन बादलों को दूर किया जाना चाहिए. इसके लिए रघुराम राजन ने एक निष्पक्ष समूह की नियुक्ति पर जोर दिया है.
उठ रहे हैं जीडीपी आंकड़ों पर सवाल
दरअसल, नवंबर, 2018 में केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान के वृद्धि दर के आंकड़ों को घटा दिया था. इसी तरह पिछले महीने सरकार ने 2017-18 की वृद्धि दर के आंकड़े को 6.7 फीसदी से संशोधित कर 7.2 फीसदी कर दिया है. इस बात को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि सरकार श्रम संबंधी सर्वे के आंकड़े जारी नहीं कर रही है जिसमें कथित तौर पर 2017 में बेरोजगारी की दर 45 साल के उच्चस्तर पर पहुंच चुकी है.